हमीरपुर। महंगाई की मार ने मिड-डे-मील का जायका बिगाड़ दिया है। बढ़ती महंगाई के बावजूद तीन साल बाद शासन स्तर से वृद्धि भी हुई तो मामूली। ऐसे में बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना प्रधानाध्यापकों के लिए चुनौती बन गया है, लेकिन शासन साढ़े पांच रुपये में उन्हें सेहतमंद बनाना चाहती है।
परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक पंजीकृत छात्र-छात्राओं को एमडीएम योजना के तहत दोपहर में गर्म पका भोजन देने की व्यवस्था है। प्रति दिन का मेन्यू निर्धारित कर कैलोरी व पोषण युक्त भोजन देने की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापकों को दी गई है। योजना के तहत गेहूं व चावल को कोटे की दुकान से स्कूलों को आपूर्ति की जाती है। जबकि सब्जी, मसाला, खाद्य तेल, व नमक के साथ अन्य प्रयुक्त सामग्री व बुधवार को दिए जाने वाले दूध एवं रसोई गैस के लिए अलग से राशि नहीं दी जाती है। मिड-डे-मील के परिवर्तन लागत से ही इसका खर्च निकाला जाता है। महंगाई बढ़ने से दाल, सब्जियों तथा दूध के दाम आसमान छू रहे हैं। इसका सीधा असर स्कूलों में बन रहे मिड-डे-मील पर पड़ रहा है। कंपोजिट विद्यालय पत्योरा की प्रधानाचार्य रंजना विश्वकर्मा का कहना है कि महंगाई के चलते परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को कैलोरी व पोषण युक्त भोजन मिल पाना मुश्किल दिख रहा है। वहीं प्राथमिक विद्यालय चुनकी का डेरा केे प्रधानाचार्य नीतराज का कहना है कि इतनी कम कास्ट बर पौष्टिक आहार देना बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य है।
एक अप्रैल से प्राथमिक स्कूल में प्रति छात्र 48 पैसा तो जूनियर स्कूलों में 72 पैसे की परिवर्तन लागत में वृद्धि की गई है। तीन साल बाद प्राथमिक स्तर पर 4.97 की जगह 5.45 रुपये व जूनियर स्तर 7.45 से बढ़ाकर 8.17 रुपये प्रति दिन प्रति छात्र की दर से परिवर्तन लागत भेजी जाएगी। प्राथमिक स्तर पर प्रति छात्र 100 ग्राम तो जूनियर स्तर पर 150 ग्राम चावल व गेहूं दिया जाता है। इतनी कम लागत में तेल, नमक, मसाले, सब्जी, दूध, चीनी व गैस लेना कठिन हो रहा है।
बीएसए कल्पना जायसवाल ने बताया कि मध्यान्ह भोजन योजना के तहत परिवर्तन लागत का निर्धारण शासन स्तर से होता है। निर्धारित धनराशि बजट मिलते ही स्कूलों के खाते में भेज दी जाती है। कहा कि प्राथमिक स्तर पर 48 पैसे व जूनियर में 72 पैसे की वृद्धि की गई है। जो एक अप्रैल से लागू कर दी गई है। साथ ही योजना में निर्धारित मेन्यू के अनुसार बच्चों को भोजन देने की निगरानी जाती है।