आठवीं के बाद ही 80 फीसदी बच्चे करियर की चिंता से ग्रस्त हो जा रहे हैं। सीबीएसई और एनसीईआरटी की स्कूलों से ली गई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इसको लेकर देश के सभी राज्यों में सर्वे किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चों से मिले फीडबैक में पाया गया कि बढ़ते तनाव का बड़ा कारण करियर की चिंता है। इससे स्कूली बच्चे कई तरह के मनोविकार के शिकार भी हो रहे हैं। छात्रों को इससे बचाने के लिए सीबीएसई ने पहल की है। इसके तहत सभी स्कूलों में करियर गाइड और काउंसलर दिए जाएंगे। पहले चरण में स्कूल के ही दो शिक्षक काउंसलर चुने जाएंगे। इसमें सीनियर कक्षा के दो-दो विद्यार्थी भी जुड़ेंगे। शिक्षा मंत्रालय की मनोदर्पण टीम के काउसंलर और सीबीएसई काउंसलिंग टीम में बतौर एक्सपर्ट डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि सीबीएसई और एनसीईआरटी ने फरवरी से अप्रैल तक फीडबैक लिया।
तनाव से गिर रहा पढ़ाई का ग्राफ
सीबीएसई से जुड़े मध्य प्रदेश के चाइल्ड काउंसलर डॉ. राजेश ने बताया कि इस तनाव से प्रतिभावान बच्चों की पढ़ाई का ग्राफ गिर रहा है। इसका कारण अभिभावकों की अपने बच्चों से अधिक अपेक्षा और बच्चों के कम उम्र में ही करियर को लेकर चिंता करना है।
सीबीएसई का सेंटर फॉर एक्सीलेंस एक महीने तक शिक्षकों को ट्रेनिंग देगा। ये शिक्षक अपने स्कूल में बच्चों की सप्ताह में दो दिन कक्षा लेंगे। ये बताएंगे कि करियर महत्वपूर्ण है, पर बिना तनाव के सही दिशा में पढ़ाई करनी है।