वेतन अवरुद्ध के नाम पर शिक्षकों का उत्पीड़न, पांच माह तक शिक्षिका का किया गया उत्पीड़न

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बेसिक शिक्षा विभाग में बच्चों को शिक्षा देने से ज्यादा विभागीय घालमेल नजर आ रहे हैं। जिस विभाग पर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी है, उसी विभाग के अधिकारी अपने स्कूलों के शिक्षकों का उत्पीड़न कर रहें है। शिक्षकों को अनुपस्थित दिखाकर उनका वेतन रोका जा रहा है, लेकिन एक शिक्षिका ने इसका विरोध किया तो उसे मानसिक व आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया गया। बात गोरखपुर तक पहुंची तो 29 मई को शिक्षिका का वेतन बहाल करने का पत्र कार्यकारी बीएसए ने जारी कर मामले को दबाने का

प्रयास किया.

मामला जूनियर हाई स्कूल रजपुरा से जुड़ा है, विद्यालय की सहायक अध्यापिका शिप्रा कुशवाहा ने खंड शिक्षा अधिकारी कमल राज पर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। शिक्षिका का कहना है खंड शिक्षा अधिकारी ने बीती 22 दिसंबर व 23 फरवरी का वेतन अवरूद्ध कर दिया। जब उन्होंने वेतन अवरूद्ध करने का कारण जानना चाहा तो खंड शिक्षा अधिकारी ने अपने कार्यालय के स्टॉफ के सामने उनके साथ अभद्रता की साथ ही वेतन बहाली के लिए अप्रत्यक्ष रूप से पैसों की मांग की इसकी शिकायत पीड़ित शिक्षिका ने

विभाग के आलाधिकारियों से की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद प्रकरण को लेकर शिक्षिका ने सीएम के ग्रह जनपद गोरखपुर तक बात पहुंचाई जिसके बाद शिक्षिका का वेतन बहाली पत्र 29 मई को कार्यकारी बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी कर दिया गया।

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शिक्षका का रुका हुआ वेतन बहाल कर दिया गया है। उनके द्वारा लगाए गए आरोप निराधार है, बीएसए के आदेश पर ही वेतन रोका जाता है। -कमल राज, खंड शिक्षा अधिकारी, रजपुरा

पांच माह तक शिक्षिका का किया गया उत्पीड़न

पीड़ित शिक्षिका ने उच्चाधिकारियों से की शिकायत में कहा है कि यदि वह वेतन अवरूद्ध के दायरे में नहीं थी तो पांच माह तक उसका मानसिक उत्पीड़न क्यों किया गया। खंड शिक्षा अधिकारी ने जिस तरह सबके सामने उसके साथ अभद्रता की व वेतन बहाली के लिए पैसे की मांग की गई इसके लिए कौन जिम्मेदार है। शिक्षिका ने मानहानी का आरोप लगाते हुए आलाधिकारियों समेत शासन से शिकायत करने का मन बनाया है। साथ ही गंगानगर थाने पर भी अपने उत्पीड़न को लेकर खड़ शिक्षा अधिकारी के खिलाफ शिकायत की है।

दर्जनों शिक्षकों का होता है उत्पीड़न

यह कोई पहला मामला नहीं है, इसी तरह की घटना रूकनपुर व सलारपुर की शिक्षिकाओं के साथ भी हो चुकी है। जबकि दर्जनों शिक्षकों से पैसे वसूलने के बाद उनका वेतन बहाल किया गया है। वेतन अवरूद्ध होना किसी भी शिक्षक की सर्विस बुक में दर्ज हो जाने के बाद उनकी पदोन्नती व इंक्रीमेंट तक रोका जा सकता है। इसी से बचने के लिए शिक्षकों पर दबाव बनाया जाता है।