माध्यमिक शिक्षा विभाग सालभर में भी 50 महापुरुषों के नाम तय नहीं कर सका है। भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए जारी लोक कल्याण संकल्प पत्र में महापुरुषों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवनगाथा को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल करने का वादा किया था। पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. सरिता तिवारी की अध्यक्षता में पिछले साल समिति गठित करते हुए महापुरुषों के नाम चयन की जिम्मेदारी दी गई थी।
इसी क्रम में यूपी बोर्ड की पाठ्यक्रम समिति ने 50 महापुरुषों की जीवनगाथा को पाठ्यक्रम में शामिल करने की कार्यवाही 30 सितंबर 2022 को पूरी कर ली थी। 2023-24 सत्र से महापुरुषों के नाम शामिल करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था, लेकिन मंजूरी नहीं मिलने के कारण इस सत्र में यह महत्वाकांक्षी कार्य नहीं हो सका। यूपी बोर्ड की ओर से 19 मई को जारी टेंडर में महापुरुषों के जीवनगाथा पर आधारित पुस्तक के प्रकाशन का जिक्र नहीं है।
साफ है कि महापुरुषों की जीवनगाथा पढ़ने के लिए बोर्ड के 27 हजार से अधिक राजकीय, सहायता प्राप्त और वित्तविहीन स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को एक साल और इंतजार करना होगा।
डिक्शनरी प्रकाशन का काम भी फंसा
यूपी बोर्ड की ओर से कक्षा नौ से 12 तक के छात्र-छात्राओं के लिए पहली बार डिक्शनरी प्रकाशन का काम भी फंस गया है। शासन ने बोर्ड के अधिकारियों को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और नॉन-एनसीईआरटी किताबों में प्रयुक्त कठिन और तकनीकी शब्दों की डिक्शनरी बनवाने के निर्देश दिए थे। पिछले साल नौ से 11 नवंबर तक बोर्ड मुख्यालय में कार्यशाला भी कराई गई थी, लेकिन इसके प्रकाशन के लिए भी टेंडर जारी नहीं हुआ है।