माध्यमिक स्तर पर देश के सात राज्यों में छात्रों के बीच में ही पढ़ाई छोड़ने यानी ड्रॉपआउट की दर राष्ट्रीय औसत 12.6 प्रतिशत से अधिक है। इन राज्यों में बिहार, आंध्र प्रदेश, असम, गुजरात, कर्नाटक, मेघालय, पंजाब आदि शामिल हैं। केंद्र सरकार ने इन राज्यों को ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिए विशेष कदम उठाने का सुझाव दिया है।
समग्र शिक्षा कार्यक्रम पर शिक्षा मंत्रालय के तहत परियोजना मंजूरी बोर्ड (पीएबी) की वर्ष 2023-24 की कार्य योजना संबंधी बैठकों के दस्तावेजों से यह जानकारी मिली है। ये बैठकें अलग-अलग राज्यों के साथ मार्च से मई 2023 के दौरान हुईं। पढ़ाई छोड़ने वालों की यह दर सरकार के वर्ष 2030 तक स्कूली शिक्षा के स्तर पर 100 प्रतिशत नामांकन हासिल करना एक चुनौती है।
दिल्ली में प्राथमिक स्तर पर नामांकन बढ़ा वर्ष 2021-22 में दिल्ली में स्कूलों में प्राथमिक स्तर पर नामांकन में तीन प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं, माध्यमिक स्तर पर करीब पांच प्रतिशत की गिरावट आई।
यूपी में कुछ जिलों में दर अधिक
कुछ जिलों में स्कूल छोड़ने वालों की दर अधिक रही। बस्ती में 23.3 प्रतिशत, बदायूं में 19.1, इटावा में 16.9, गाजीपुर में 16.6 , एटा में 16.2, महोबा में 15.6, हरदोई में 15.6 और आजमगढ़ में यह 15 प्रतिशत दर्ज की गई।
बंगाल में सुधार पश्चिम बंगाल में माध्यमिक स्कूली स्तर पर वर्ष 2020-21 की तुलना में 2021-22 में ड्रॉपआउट दर में सुधार दर्ज किया गया।
बिहार में पढ़ाई छोड़ने वाले सर्वाधिक, त्रिपुरा में सबसे कम
पीएबी की बैठक के दस्तावेज के अनुसार, वर्ष 2021-22 में बिहार में स्कूलों में माध्यमिक स्तर पर ड्रॉपआउट दर 20.46 प्रतिशत, गुजरात में 17.85 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 16.7 प्रतिशत, असम में 20.3 प्रतिशत, कर्नाटक 14.6 प्रतिशत, पंजाब में 17.2 प्रतिशत, मेघालय में 21.7 प्रतिशत दर्ज की गई। वहीं, इस अवधि में मध्य प्रदेश में माध्यमिक स्तर पर ड्रॉपआउट दर 10.1 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 12.5 प्रतिशत और त्रिपुरा में 8.34 प्रतिशत दर्ज की गई।