लखनऊ, नगर निगम के ठेकेदार व अफसर 12 वर्षोँ से 10 हजार कर्मचारियों के ईपीएफ पर हाथ साफ कर रहे थे। उनके नाम से फंड निकल रहा था लेकिन खातों में जमा ही नहीं हो रहा था। ठेकेदारों, अफसरों में बंट रहा था। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 2011 से जांच शुरू की तब इसका खुलासा हुआ। 150 करोड़ से अधिक की ईपीएफ की रकम के गबन की बात सामने आ रही है। नगर निगम के अधिकारी अब ईपीएफओ को विस्तृत जांच के लिए दस्तावेज ही नहीं दे रहे हैं।
सफाई कर्मियों के फंड का भी हुआ था घोटाला नगर निगम में ईपीएफ घोटाले का दायरा काफी बढ़ गया है। पहले सफाई कर्मियों के ईपीएफ में ही घोटाला हुआ था लेकिन अब कई अन्य विभागों में भी बड़े पैमाने पर घोटाले की बात सामने आयी है। वर्ष 2011 से ही नगर निगम में ईपीएफ में घोटाला चल रहा था। 2011 से 2022 तक 98 कर्मचारियों के ईपीएफ खाते ही नहीं खोले गए। जिनके खुले भी उनमें ईपीएफ की रकम ही नहीं हुई है। नगर निगम ठेकेदारों को लगातार ईपीएफ का भुगतान कर रहा है।
25 फीसदी रकम कर्मचारियों की ईपीएफ में जमा होनी थी नगर निगम कर्मचारियों के ईपीएफ के लिए 13 अतिरिक्त भुगतान कर रहा है। जबकि 12 संबंधित आउटसोर्सिंग कंपनी को कर्मचारियों के पीएफ खाते में जमा करना था। कुल 25 रकम ईपीएफ खाते में जमा होने थी। 3.25 ईएसआईसी भी नगर निगम भुगतान करता है। आउटसोर्सिंग कंपनियों को 0.75 प्रतिशत ईएसआईसी जमा करना था। जो नहीं जमा किया