विशेष : समस्त प्रधानाध्यापक/इं० प्रधानाध्यापक/एआरपी/ एसआरजी/जिला समन्वयक एवं खण्ड शिक्षा अधिकारी कृपया ध्यान दें।
आप अवगत हैं कि दिन के तापमान और आर्द्रता में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। तापमान और आर्द्रता में उत्तरोत्तर वृद्धि होने के कारण उमस भरी गर्मी से बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। ऐसी स्थिति में विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों तथा शिक्षकों को विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता है। उमस भरी गर्मी के कारण शरीर में पानी की कमी होने तथा अन्य समस्याएं यथा बुखार आना, चक्कर आना, मांस पेशियों में ऐंठन, थकान कमजोरी, सिर-दर्द, उल्टी आदि आना हो सकता है।
इसके अतिरिक्त आइ-फ्लू ऐसी स्थिति में विद्यालय स्तर पर विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। प्रत्येक विद्यालय ऐसे उपायों को अपनाएं, जिससे वह बच्चों को गर्मी/उमस के दुष्प्रभाव से सुरक्षा प्रदान कर सकें।
आपसे अपेक्षा है कि उपरोक्त के संबंध में निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष ध्यान रखें-
1- बच्चों को धूप में किसी भी प्रकार के कार्यों या गतिविधियों में न लगाया जाए।
2- खेल एवं अन्य आउटडोर गतिविधियां प्रातः काल 9:00 बजे तक पूर्ण कर ली जाएं।
3- विद्यालय में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए तथा समय-समय पर उचित मात्रा में पानी पीने के महत्व से अवगत कराया जाए।
4- बच्चों को अपने साथ पानी पीने की बोतलें लाने के लिए कहा जाए तथा विद्यालय से घर वापस जाते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि बोतलों में पानी अवश्य हो तथा इसके लिए अभिभावकों को प्रेरित भी किया जाए।
5- शौचालयों की स्वच्छता एवं साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाए। शौचालयों में नल जल की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
6- विद्यालयों में बच्चों को मीनू के अनुसार ताजा एवं गुणवत्ता युक्त मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराया जाए।
7- विद्यालय स्तर पर फर्स्ट एड किट की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, जिसमें ओआरएस, बुखार, उल्टी-दस्त आदि से संबंधित प्राथमिक स्तर की दवाई उपलब्ध हो। विशेष परिस्थिति उत्पन्न होने पर अतिशीघ्र प्राथमिक चिकित्सा केंद्र/चिकित्सालय से तत्काल संपर्क किया जाए।
8- यह सुनिश्चित किया जाए कि कक्षा कक्ष के सभी पंखे काम कर रहे हो ताकि बच्चों के लिए उचित वातावरण उपलब्ध हो सके।
क्या करें—
1- बच्चों को समय-समय पर पानी पीने के लिए प्रेरित किया जाए।
2- शरीर में निरंतर पर्याप्त पानी की मात्रा बनाए रखने के लिए ओआरएस या घर में तैयार पेय पदार्थ जैसे कि लस्सी, नींबू-पानी, छाछ आदि के सेवन हेतु बच्चों को जागरूक किया जाए।
3- बच्चे यथासंभव कक्षा कक्ष के अंदर एवं छाया में ही रहे।
4- घबराहट या गर्मी के लक्षण महसूस होने की स्थिति में तुरंत चिकित्सक का परामर्श लिया जाए।
5- बच्चों को घर पर ताजा भोजन के सेवन हेतु जागरूक किया जाए।
6- बच्चों को विद्यालय एवं घर में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखे जाने के लिए प्रेरित किया जाए।
7- धूप से बचाव के लिए छाते का प्रयोग करें तथा सिर को तौलिया अथवा गमछे से ढके।
8- कक्षा-कक्षों की खिड़कियाँ एवं दरवाजे खुले रखे जाएं, जिससे वायु का आवागमन सुचारू रहे।
क्या न करें-
1- विद्यालय अवधि के दौरान यथासंभव बच्चों को धूप में न आने दिया जाए। अपरिहार्यता की स्थिति में सुरक्षात्मक उपाय अपनाया जाए।
2- जूता-चप्पल पहने बिना घर से बाहर न जाए।
3- जंक फूड/बासी/मसालेदार खाना नहीं खाए।।
4- गर्मी लगने अथवा बुखार होने पर स्वयं से दवाई न लें। तत्काल चिकित्सक से परामर्श लिया जाए।
उमस भरी गर्मी से बचाव के लिए क्या करें और क्या न करें संबंधी बिंदुओं को शिक्षकों द्वारा कक्षा कक्ष में लिखकर प्रदर्शित किया जाए तथा बच्चों के बीच चर्चा-परिचर्चा भी आयोजित किया जाए, ताकि बच्चे भी इस बारे में जागरूक हो सके तथा बचाव संबंधी उपायों को अपना सकें। सभी इन निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करें।
– डॉ० गोरखनाथ पटेल
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जौनपुर।