उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा है कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के जरिए बेसिक शिक्षा परिषद के अलावा सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल, माध्यमिक विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती होगी। फिलहाल राजकीय माध्यमिक विद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में शिक्षक भर्ती पहले की तरह उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से ही होगी। बुधवार को सर्किट हाउस में उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों के साथ समीक्षा बैठक के बाद मीडिया से रूबरू उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि सात अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के सत्र में नए आयोग का अधिनियम पारित हो जाएगा। उसके बाद राज्यपाल की मंजूरी से लागू हो जाएगा।
इसमें छह शिक्षाविद और संबंधित विभागों के अधिकारियों को भी रखा जाएगा। नए आयोग के गठन से नियमित और पारदर्शी भर्ती हो सकेगी। परिषदीय स्कूलों में भी भर्ती शुरू की जाएगी। कहा कि बेरोजगारों को नौकरी देने का काम शुरू हो गया है। एक हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई है। पांच अल्पसंख्यक कॉलेजों में शिक्षक भर्ती और कुछ एडेड कॉलेजों में गैर शैक्षणिक पदों पर भर्ती की अनुमति दी गई है। 12 निजी विश्वविद्यालयों को मंजूरी दी गई है। इनके आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और शिक्षा का स्तर सुधरेगा। कहा कि जिन विषयों को पढ़ने के लिए छात्र देश से बाहर जाते हैं उन्हें यूपी में शुरू करेंगे। एक सवाल के जवाब में कहा कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले शैक्षणिक संस्थाओं की दुर्दशा थी। किसी विश्वविद्यालय के पास बी प्लस रेटिंग नहीं थी। आज पांच विश्वविद्यालयों को ए डबल प्लस रेटिंग मिल चुकी है। पुस्तकालयाध्यक्षों की आयु सीमा 60 या 62 वर्ष होने के संबंध में जल्द निर्णय लिया जाएगा।
वैज्ञानिक जांच से तथ्य और सत्य सामने आएगा
उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने ज्ञानवापी के मुद्दे पर कहा है कि वहां तीन दीवारों पर आज भी हिन्दू देवी-देवताओं से संबंधित प्रतीक चिह्न त्रिशूल या स्वास्तिक हैं। जाहिर होता है कभी यह मंदिर ध्वस्त किया गया होगा और दूसरा धर्मस्थल बनाया गया होगा। न्यायालय कहती है वैज्ञानिक जांच की जाए तो डर किस बात का। विज्ञान से तथ्य और सत्य सामने आएगा।