अंग्रेजी माध्यम के 15 हजार परिषदीय स्कूलों में अब हिंदी में पढ़ाई कराई जाएगी। विद्यार्थियों को अब सभी विषयों को अंग्रेजी में नहीं पढ़ाया जाएगा। अब वह सिर्फ अंग्रेजी एक विषय के रूप में ही पढ़ेंगे। कान्वेंट स्कूलों की तर्ज पर खोले गए ये विद्यालय अपने उद्देश्यों को ढंग से पूरा नहीं कर पा रहे हैं। वहीं दूसरा कारण राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 में मातृ भाषा पर जोर देना है।
पांच वर्ष पहले तीन चरणों में पांच-पांच हजार परिषदीय स्कूलों को इंग्लिश मीडियम के स्कूलों में बदला गया था । कान्वेंट स्कूलों के पढ़े-लिखे और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले शिक्षकों को उस समय साक्षात्कार लेकर चयनित किया गया था, लेकिन इन अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनी। अंग्रेजी माध्यम के प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा पांच तक पढ़ाई कर आगे उच्च प्राथमिक स्कूल में कक्षा छह से आठ तक की पढ़ाई भी वे इसी माध्यम से करें, इसकी व्यवस्था नहीं की गई। स्कूल पास-पास न होकर बहुत दूर दूर होने के कारण अंग्रेजी माध्यम के प्राथमिक विद्यालयों से पढ़कर निकले छात्र आगे हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने को मजबूर हैं और कई अंग्रेजी माध्यम के उच्च प्राथमिक स्कूलों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई करके आए विद्यार्थी भी प्रवेश ले रहे हैं। होना तो यह चाहिए था कि एक ही परिसर में बने कंपोजिट स्कूल, जिसमें प्राथमिक विद्यालय व उच्च प्राथमिक विद्यालय दोनों हैं, उन्हें पूरा अंग्रेजी माध्यम का बनाया जाता तो यह दिक्कत न होती।
महानिदेशक, स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद का कहना है कि एनईपी में मातृभाषा को बढ़ावा देना है और इन विद्यालयों के संचालन में कठिनाई भी आ रही है। ऐसे में अब यहां हिंदी माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी।
अब तक किताबें भी पूरी नहीं पहुंची: अप्रैल में ही नया शैक्षिक सत्र शुरू हो गया था, लेकिन अभी तक अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में विद्यार्थियों को पूरी किताबें नहीं मिलीं। कक्षा आठ में सिर्फ कृषि विषय की ही किताब पहुंची है। इसी तरह कक्षा छह और कक्षा सात में छह-छह विषयों की किताबें नहीं पहुंची हैं। यही हाल दूसरी कक्षाओं का भी है.