नई दिल्ली. PRAYAS Scheme: शिक्षा मंत्रालय स्कूली छात्रों को वैज्ञानिक पद्धति और प्रयोगों से परिचित कराकर उन्हें अनुसंधान एवं खोज का अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से प्रोमोशन ऑफ रिसर्च एटीट्यूड इन यंग एंड एस्पाइयरिंग स्टूडेंट (प्रयास) योजना शुरू करने जा रहा है.
राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने ‘प्रयास’ योजना 2023-24 के लिए एक दिशानिर्देश तैयार किया है जिसकी शुरूआत 10 अक्टूबर 2023 से होगी.
प्रत्येक चयनित शोध प्रस्ताव के लिए कुल 50 हजार रूपये का प्रोत्साहन अनुदान किया जायेगा. इस राशि में से 10 हजार रूपये छात्र को दिए जाएंगे (दो छात्र होने पर 5-5 हजार रूपये). इसमें से छात्रों को शोधकार्य करने में सुविधा प्रदान करने के लिए स्कूलों को 20 हजार रूपये और उच्च शिक्षण संस्थान के विशेषज्ञ को 20 हजार रूपये दिये जायेंगे. इसके लिए 20 सितंबर तक आवेदन किय जा सकेंगे और प्रक्रिया पूरी होने के बाद परियोजना 10 अक्टूबर 2023 से प्रारंभ होगी.
‘प्रयास’ योजना के दिशानिर्देश के अनुसार, इसका मकसद युवा छात्रों के बीच वैज्ञानिक चिंतन उत्पन्न करना और साक्ष्य आधारित विज्ञान प्रक्रिया कौशल, नवीनता और रचनात्मकता का विकास करना है. इसमें व्यक्तिगत रूप से या समूहों में अनुसंधान या खोज करने के लिए छात्रों में क्षमता विकास पर जोर दिया गया है. इसमें किसी स्थानीय समस्या की पहचान और उसका अध्ययन करने, इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की जांच करने एवं समाधान खोजने तथा किसी विचार, कल्पना या अवधारणा पर शोध करने पर जोर दिया गया है.
‘प्रयास’ योजना के अंतर्गत स्कूली छात्रों और शिक्षकों के साथ उच्च शिक्षण संस्थानों के एक विशेषज्ञ की सहायता से किसी स्थानीय समस्या का हल करने या अनुसंधान आधारित समाधान निकालने का प्रयास किया जायेगा. इसमें भाग लेने वाले स्टूडेंट की आयु 14-18 वर्ष होनी चाहिए तथा उनका नौवीं से 11वीं कक्षा में अध्ययनरत होना अनिवार्य होगा. सभी स्कूलों के छात्र ‘प्रयास’ योजना में भाग लेने के पात्र हैं. इसमें एक छात्र या अधिकतम दो छात्रों के समूह के साथ स्कूल के एक शिक्षक और किसी उच्च शिक्षण संस्थान के एक विशेषज्ञ शामिल हो सकते हैं. प्रति विद्यालय केवल एक प्रविष्टि पर विचार किया जायेगा.
इस परियोजना की अवधि स्कूल में कार्यक्रम शुरू होने की तारीख से एक वर्ष के लिए है. प्रयास 2023-24 के लिए कार्यकाल का समय 10 अक्टूबर 2023 से शुरू होकर 9 अक्टूबर 2024 तक रहेगा. दिशानिर्देशों में कहा गया है कि स्कूलों के प्रमुखों और उच्च शिक्षण संस्थानों से अपेक्षा की जाती है कि वे अनुमानित समय और कार्यकाल में परियोजना को शुरू करें और सुविधा प्रदान करें. इस परियोजना में स्कूल के एक विज्ञान शिक्षक को पूरे कार्यकाल के दौरान छात्रों को उनके शोध कार्य में मार्गदर्शन के लिए नियुक्त किया जायेगा. स्कूलों के नजदीक स्थित किसी उच्च शिक्षण संस्थान के विज्ञान विशेषज्ञ भी छात्रों को तकनीकी एवं प्रायोगिक मार्गदर्शन करेंगे और प्रयोगशाला उपकरणों आदि के बारे में जानकारी देंगे.