खासमखास शिक्षकों के हाथों की कठपुतली बना बेसिक शिक्षा विभाग

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बेसिक शिक्षा विभाग के कुछ शिक्षकों द्वारा कलाबाजी दिखाते हु अपने रिश्तेदार व मित्र शिक्षकों को लाभ पहुंचाने के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारियों को गुमराह करते हुए उनके सामने शिक्षक के जीरो कार्य को भी इस तरह से दर्शा दिया जाता है मानो सर्वश्रेष्ठ शिक्षक बस यही है। यदि अधिकारियों ने पारदर्शिता की ओर ध्यान नहीं दिया तो वास्तविक लगन से कार्य करने वाले शिक्षकों का मनोबल टूटेगा। बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित परिषदीय विद्यालय के कुछ शिक्षक विभाग में जड़े जमा कर बैठे हैंद्य जब भी शासन और प्रशासन के निर्देशन में विभाग द्वारा किसी भी तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है तो यही मठाधीश शिक्षक अपने चहेते शिक्षकों का नाम लिस्ट में सबसे ऊपर दर्ज कराने में कोई कसर नहीं छोड़ते। जबकि वास्तविकता में धरातल पर कार्य करने वाले अनेकों शिक्षक गुमनाम होकर अपने कर्तव्य का

निर्वहन करते रहते हैं। जिसकी शुद ना विभाग लेता है ना कोई आला अधिकारीद्य सारा खेल इन कुछ मठाधीश शिक्षकों के द्वारा किया जाता रहता है।

पिछले वर्ष शिक्षक दिवस 5 सितंबर को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा शासन के निर्देश पर लगभग 70 के आसपास शिक्षकों को सम्मानित करना था जिसके लिए एक सूची तैयार की गई थी वही सूत्र बताते हैं कि इस सूची में भी बड़ा खेल हुआ था तब भी यही कुछ मठाधीश शिक्षकों के द्वारा अपने चहेतों शिक्षकों के नाम सूची मैं डलवा दिए गए और कई नाम हटवाने में भी इनका बड़ा हाथ था। धरातल पर उतर कर शिक्षा की अलख जगाने वाले कई ऐसे शिक्षक सम्मान पाने से वंचित रह गए थे। शिक्षा विभाग द्वारा किसी भी तरह का कार्यक्रम आयोजित करने के लिए सबसे पहले उसकी सूचना सार्वजनिक होना चाहिए ताकि अन्य शिक्षकों को प्रतिस्पर्धा में अपने आप को साबित करने का मौका मिले।