नई दिल्ली। पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की मांग कर रहे सरकारी कर्मचारियों को केंद्र सरकार बड़ी राहत दे सकती है। इसके लिए इस साल के अंत तक राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में संशोधन किया जा सकता है। इससे सुिनश्चित किया जाएगा कि कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय आखिरी वेतन का 40 से 45 प्रतिशत पेंशन के रूप में दिया जा सके। इस बारे में एक उच्चस्तरीय समिति की तरफ से सिफारिश की गई है।
बताया जा रहा है सरकार किसी कर्मचारी के अंतिम वेतन का न्यूनतम 40 से 45 फीसदी सुनिश्चित पेंशन राशि देने की पद्धति पर काम कर सकती है। इसका मतलब यह है कि यदि पेंशन आधार राशि से कम है तो सरकार को इस कमी को पूरा करने के लिए हस्तक्षेप करना होगा। वर्तमान में कर्मचारी औसतन 36 से 38 फीसदी के बीच औसत रिटर्न अर्जित करते हैं।
नई पेंशन स्कीम कब लागू हुई थी
सरकारी कर्मचारियों को साल 2004 से पहले पुरानी पेंशन योजना के तहत सेवानिवृत्ति के बाद एक तय पेंशन मिलती थी। यह पेंशन सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी के वेतन पर आधारित होती थी। इस योजना में सेवानिवृत्त कर्मचारी की मौत के बाद उसके परिवारिक सदस्यों को भी पेंशन मिलने का नियम था। एनडीए सरकार ने अप्रैल 2004 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया था।
एनपीएस पर क्यों है विवाद
पुरानी पेंशन योजना में सरकार कर्मचारी के अंतिम वेतन पर 50 फीसदी पेंशन की गारंटी देती है। इसके लिए कर्मचारी को अपनी तरफ से कोई योगदान भी नहीं देना होता है। वहीं, एनपीएस में कर्मचारी को अपने आधार वेतन का 10 फीसदी योगदान देना होता है। वहीं, सरकार 14 फीसदी योगदान भरती है।
विशेषज्ञ जता चुके हैं इसको लेकर चिंता
पुरानी पेंशन व्यवस्था के मुद्दे पर कई अर्थशास्त्रत्त्ी चिंता जा चुके हैं। उनका कहना है कि यह कदम राज्य सरकारों को दिवालियापन की ओर धकेल सकता है। एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांत घोष ने कहा था कि पुरानी पेंशन योजना वित्तीय रूप से अस्थिर है। इससे राज्यों पर कर्ज का बोझ बढ़ सकता है। वित्त वर्ष 2023-24 में, केंद्रीय पेंशन बजट 2.34 लाख करोड़ रुपये था।