रामपुर,
जिले में दो माह चले अभियान में शिक्षा विभाग की पोल खुलकर सामने आ गई। अभियान के तहत 1075 विद्यालयों में कमियां पाई गई। इस दौरान सात शिक्षामित्रों की सेवा समाप्त कर दो शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। वहीं, निरीक्षण में गैरहाजिर 52 शिक्षक, 58 शिक्षामित्र और 27 अनुदेशकों के वेतन को भी रोका है। जिले के विद्यालयों को निपुण बनाने की कवायद को लेकर जिला अधिकारी सहित अन्य अधिकारी सतर्क है। उनकी ओर से लगातार शिक्षा के स्तर को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है।
इसी क्रम में शासन से आए आदेश के बाद जनपद के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों को निपुण श्रेणी में लाने के लिए जिलाधिकारी रविंद्र कुमार माँद और मुख्य विकास अधिकारी नंदकिशोर कलाल के नेतृत्व में जिला स्तरीय अधिकारी एवं विकासखंड स्तरीय अधिकारियों द्वारा पिछले दो माह के भीतर जिले के 1075 विद्यालयों का निरीक्षण किया गया था। निर्धारित बिंदुओं पर विद्यालयों के निरीक्षण के दौरान पाई गई कमियों को लेकर खंड शिक्षा अधिकारियों और विद्यालय के अध्यापकों के विरुद्ध कार्रवाई भी सुनिश्चित कराई गई। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि ने अधिकारियों के द्वारा 1075 विद्यालयों के निरीक्षण में 52 शिक्षक गैरहाजिर पाए गए। जिनका वेतन रोक दिया गया है।
साथ ही 58 शिक्षामित्र भी गैर हाजिर मिले, उनके भी निर्धारित मानदेय के आहरण पर रोक लगा दी गई है। इसी प्रकार 27 अनुदेशकों के गैर हाजिर पाए जाने पर उनका मानदेय भी रोक दिया गया है। विभिन्न प्रकार के मानकों और शासकीय निर्देशों का गंभीरता पूर्वक पालन न करने पर 15 विद्यालयों से स्पष्टीकरण तलब किया गया है। इसके साथ-साथ अत्यधिक लापरवाही बरतने वाले सात शिक्षामित्रों की सेवाएं भी समाप्त की जा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि शासकीय निर्देशों के अनुपालन में अत्यंत लापरवाह रवैया अपनाने वाले दो शिक्षकों, एक शिक्षामित्र और एक अनुदेशक को निलंबित किया जा चुका है। अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान यह भी पाया गया कि जिले के 401 विद्यालयों में निर्धारित मानक के सापेक्ष न्यूनतम छात्र-छात्राएं भी पंजीकृत नहीं है।
जिसको लेकर यह निर्देश दिए गए हैं कि विद्यालयों को निपुण श्रेणी में लाने के लिए न्यूनतम छात्र-छात्राओं की संख्या के निर्धारित पैरामीटर का अनिवार्य रूप से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। ब्लॉक टास्क फोर्स के अंतर्गत बिलासपुर और चमरौआ के खंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा निरीक्षण में अत्यंत शिथिलता बरतने पर उन्हें स्पष्टीकरण भी जारी किया जा चुका है। इस शैक्षणिक सत्र में कक्षा एक और कक्षा छह में नामांकन शून्य वाले 15 विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों का वेतन रोक दिया गया है।