बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए इसी सत्र में विधेयक लाया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में इसकी घोषणा की। उन्होंने आरक्षण की सीमा 15 फीसदी बढ़ाकर 60 से 75 फीसदी करने का प्रस्ताव दिया। कैबिनेट ने इससे संबंधित बिहार आरक्षण बिल 2023 पर मुहर लगा दी। दोनों सदनों में नौ नवंबर को इसे पेश किया जाएगा।
अनुसूचित जाति (एससी) का आरक्षण बढ़ाकर 20 फीसदी और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का आरक्षण बढ़ाकर दो फीसदी करने का प्रस्ताव दिया गया है। इसके अलावा पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाकर 43 फीसदी करने का प्रस्ताव है। इसमें पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को दिया जाने वाला तीन फीसदी आरक्षण भी समायोजित किया जाएगा।
नीतीश ने सदन में जातीय गणना से संबंधित प्रतिवेदन पर बोलते हुए कहा, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक सर्वे के आधार पर बिहार में पिछड़ों की संख्या 27.12 फीसदी, अति पिछड़ों की 36.01, एससी की 19.65, एसटी की 1.68 और सामान्य वर्ग की संख्या 15.52 फीसदी हो गई है। इसलिए आरक्षण सीमा बढ़ाने की जरूरत है। जिन पंचायतों में साक्षरता दर कम है, वहां शिक्षा विभाग अभियान चलाएगा।
केंद्र को भी रिपोर्ट भेजेंगे। अनुरोध करेंगे कि वो भी जातीय जनगणना करें। इस आधार पर विकास योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। केंद्र सरकार को इससे लाभ होगा।
-नीतीश कुमार, बिहार के मुख्यमंत्री
जाति सर्वे 34.13 परिवार गरीब
बिहार में 34.13 फीसदी यानी 94 लाख 42 हजार 786 परिवार गरीब हैं। प्रति माह कुल आय 6000 रुपये या इससे कम है। सामान्य वर्ग में 25.09, पिछड़ा वर्ग के 33.16, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 33.58 फीसदी परिवार गरीब हैं।
सामान्य वर्ग में करीब एक चौथाई परिवार गरीब
जाति सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, सामान्य वर्ग में सबसे कम 25.09 प्रतिशत परिवार गरीब हैं। हालांकि इस वर्ग को लेकर कई मिथक भी टूटे हैं। माना जाता था कि सामान्य वर्ग में सबसे कम गरीबी है।