न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) में घोटाले की जांच शुरू हो गई है। ये मामला, प्रयागराज के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों-कर्मचारियों के एनपीएस फंड से जुड़ा है। निदेशक पेंशन ने रकम के घोटाले की जांच शुरू कर दी है।
एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों-कर्मचारियों के पेंशन की रकम बिना उनकी सहमति के निजी कंपनियों में निवेशित करने का खुलासा आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ में होने के बाद शासन ने सख्त रुख अपनाया है। इस पूरे मामले की जांच पेंशन निदेशालय के निदेशक को दी गई है। इस मामले में प्रयागराज, वाराणसी व लखनऊ में एफआईआर हो चुकी है।
इसके अलावा 16 और जिलों इटावा, बलरामपुर, कासगंज, बिजनौर, रामपुर, देवरिया, गाजियाबाद, गोरखपुर, अलीगढ़, अम्बेडकरनगर, चित्रकूट, फतेहपुर, मेरठ, आगरा, बाराबंकी व सोनभद्र में पेंशन की धनराशि में हेराफेरी की शिकायत मिली है।
अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने सभी 16 जिला विद्यालय निरीक्षकों से निर्धारित प्रोफॉर्मा पर डिफॉल्ट फंड मैनेजर के स्थान पर अन्य फंड मैनेजर में पेंशन की कटौती निवेशित करने की सूचना मांगी है। डीआईओएस से कर्मचारी का पैन नंबर, नाम, फंड मैनेजर परिवर्तन की तारीख, अभिदाता की सहमति या असहमति, फंड मैनेजर परिवर्तन का कारण, डिफॉल्ट फंड मैनेजर परिवर्तन की जानकारी मांगी है।
निजी कंपनी में निवेश करने की हो जांच
प्रयागराज के परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के एनपीएस कटौती में घोटाले को लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव और मंत्री शिव बहादुर सिंह ने वित्त एवं लेखाधिकारी को पत्र लिखा है। परिषदीय शिक्षकों के एनपीएस कटौती की धनराशि बिना उनकी सहमति के निजी कम्पनी (एचडीएफसी एवं मैक्स) में लगा दी गई है। इसकी जांच होनी चाहिए। इसके अलावा एनपीएस कटौती को समय से निवेशित करने और दूसरे विभागों से आए शिक्षकों का प्रान शिफ्ट करने की मांग की है।