चार दिन स्कूल नहीं आया तो घर पहुंच जाएंगे शिक्षक

Basic Wale news

गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में बच्चों के अटेंडेंस बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके लिए एक अनोखा कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। स्कूलों में अधिक से अधिक पंजीकरण के साथ उनकी उपस्थिति बढ़ाने का प्रयास चल रहा है। इसके बावजूद स्कूलों में प्रतिदिन की औसतन उपस्थिति 60 प्रतिशत ही है। इसे गंभीरता से लेते हुए बेसिक शिक्षा परिषद ने सभी बीएसए को उपस्थिति बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। सभी को 10 प्रतिशत उपस्थिति बढ़ाने का लक्ष्य दिया गया है। निर्देशित किया है कि अगर बच्चा चार से छह दिन तक अनुपस्थित रहता है तो घर जाकर शिक्षक अभिभावकों से बातचीत कर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करें। अभिभावकों से मुलाकात में शिक्षक बच्चे की अनुपस्थिति का कारण जानकर उसे दूर करने की दिशा में प्रयास करेंगे।

स्कूल शिक्षा के महानिदेशक और राज्य परियोजना निदेशक विजय किरन आनंद के अनुसार परिषदीय विद्यालयों में बेहतर संसाधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ पाठ्य पुस्तकें, यूनीफार्म, जूता-मोजा, बैग, मिड-डे मील आदि भी निशुल्क दिया जा रहा है। इसके बावजूद प्रतिदिन की उपस्थिति औसतन 60 प्रतिशत ही है। हाल ही में जिलों का सर्वे कराया गया तो शिक्षकों का समय से विद्यालय न पहुंचना, छोटे भाई-बहनों का ध्यान रखने के लिए बच्चों का घर पर रहना, खेती के काम में माता-पिता की मदद करना व घर के अन्य कार्यों में व्यस्त रहना आदि कारण कम उपस्थिति के लिए पाए गए। उन्होंने बच्चों के छोटे भाई-बहनों का पंजीकरण आंगनबाड़ी केंद्रों में कराने के निर्देश दिए हैं, ताकि बच्चे विद्यालय जा सकें।

अनुपस्थित होने पर अभिभावकों को करना होगा फोन

विजय किरण आनंद ने सभी बीएसए को निर्देश दिए गए हैं कि यदि कोई बच्चा लगातार एक से तीन दिन तक अनुपस्थित रहता है तो उसके अभिभावक से फोन कर स्थिति जानें। चार से छह दिन तक अनुपस्थित रहने पर घर जाकर शिक्षक अभिभावकों से बातचीत कर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करें। बच्चे के एक सप्ताह से अधिक अनुपस्थित रहने पर शिक्षक ग्राम प्रधान की मदद से अभिभावकों को बच्चों को स्कूल भेजने को प्रेरित करें।

स्कूलों को इस मामले में प्रोत्साहित करने की भी योजना है। प्रत्येक विकासखंड के कार्यालय में लगे बोर्ड पर उस ब्लॉक के ऐसे पांच स्कूलों और उनके प्रधानाध्यापक के नाम लिखे जाएंगे, जहां विद्यार्थियों की सबसे ज्यादा उपस्थिति होगी। साथ ही हर महीने ब्लाक और जिला स्तर पर होने वाली बैठक में इन स्कूलों के प्रधानाध्यापक सम्मानित भी किए जाएंगे।