अतिरिक्त सूची क्यों जारी करनी पड़ी? हालांकि, दबी जुबान विभाग ने यह जरूर स्वीकार किया कि क्षैतिज आरक्षण के निर्धारण में चूक हो गई थी।
सूत्रों की मानें तो महिलाओं के 20% आरक्षण के निर्धारण का फॉर्म्युला ही गलत तय किया था। इस गलती को सुधारने के लिए और पदों पर चयन सूची जारी करनी पड़ी। छोटी-छोटी गलतियों पर अभ्यर्थियों के आवेदन खारिज करने वाला बेसिक शिक्षा विभाग इतनी बड़ी अनियमितता पर आज तक किसी बड़े की जवाबदेही नहीं कर पाया है। दूसरी ओर कोर्ट ने चयन सूची भी रद कर दी।
अब कोर्ट के सहारे समाधान की उम्मीद
भर्ती में एक ओर आरक्षण न दिए जाने के आरोप लग रहे हैं, वहीं अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी दोहरे आरक्षण का आरोप लगाकर कोर्ट में मुकदमा लड़ रहे हैं। इसी साल 13 मार्च को 6,800 की अतिरिक्त चयन सूची को रद करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि भर्ती सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अधीन है और बिना विज्ञापन पद नहीं भरे जा सकते।
कोर्ट ने जहां 50% से अधिक आरक्षण न होने का हवाला दिया बल्कि दोहरे आरक्षण का भी सवाल उठाया। कोर्ट ने यह भी कहा कि अफसरों की जिम्मेदारी थी कि वे आरक्षण अधिनियमों का ढंग से पालन करते, लेकिन वे ऐसा करने में असफल रहे। अभ्यर्थियों व उनके आरक्षण का विवरण और स्कोर तक नहीं पेश किया गया। इसलिए, पूरी चयन सूची की ही नए सिरे से समीक्षा की जाए।
दोहरे आरक्षण की सिंगल बेच की व्याख्या के खिलाफ आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी फिलहाल डबल बेच में लड़ रहे हैं। दूसरी ओर धरना-प्रदर्शन व सियासी मंचों पर सवाल के जरिए भी विभाग पर समायोजन का दबाव बना रहे हैं। कुछ की यह भी मांग है कि आरक्षण को लेकर करीब 2,000 अभ्यर्थी जो कोर्ट में हैं, उनका ही विभाग समायोजन कर दे तो विवाद खत्म हो जाएगा। वहीं, बेसिक शिक्षा विभाग ने समाधान की गेंद कोर्ट के पाले में डाल दी है।
क्षैतिज आरक्षण में मिली विसंगतियों को दूर करने के लिए 6,800 अभ्यर्थियों की अतिरिक्त सूची जारी की गई थी। इसके खिलाफ कुछ अभ्यर्थी हाई कोर्ट गए थे। सिंगल बेंच ने सूची को रद करते हुए पूरी चयन सूची की समीक्षा के निर्देश दिए थे। इस आदेश के विरुद्ध कुछ अभ्यर्थियों की याचिका पर हाई कोर्ट की डबल बेंच में मामला लंबित है। विभाग ने अपना पक्ष, संबंधित दस्तावेज और नियम-प्रक्रिया से जुड़े सभी विषय विस्तार से कोर्ट के समक्ष रखे हैं। जैसा आदेश होगा हम उसका अनुपालन करेंगे।
विजय किरन आनंद, डीजी, स्कूली शिक्षा, बेसिक और माध्यमिक
विवाद और अदालती नूरा-कुश्ती
🔴 2022
5 जनवरी : आरक्षण में विसंगति मानते हुए 6,800 और अभ्यर्थियों की सूची जारी की
27 जनवरी : बिना विज्ञापन अतिरिक्त नियुक्ति को गलत मानते हुए हाई कोर्ट ने सूची पर रोक लगा दी
28 मार्च : डबल बेंच ने भी सिंगल बेच का फैसला बरकरार रखा
🔴 2023
13 मार्च : हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 6,800 की सूची रद की और 1 जून 2020 की सूची की भी समीक्षा करने को कहा
17 अप्रैल : सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ महेंद्र पाल और कुछ अभ्यर्थी डबल बेंच पहुंचे
20 नवंबर : डबल बेंच 4 दिसंबर से मामले की नियमित सुनवाई करेगी.