कंचन वर्मा 2005 बैच की आईएएस अफसर ने अपने लगभग 19 साल के सर्विस कार्यकाल में बेहतर काम किया है। एक नदी एवं झील का कायाकल्प करने पर उनकी परियोजना को काॅमन वेल्थ पुरस्कार की प्रतिस्पर्धा में चुना गया था जिस कारण आईएएस कंचन वर्मा को सर्विस डे के मौके पर अवार्ड से नवाजा गया था।
बता दें कि कंचन वर्मा ने उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा में 3 अगस्त को जन्म लिया था। कंचन वर्मा ने बी.एड और मास्टर आॅफ आर्ट्स से सोसोलाॅजी की है। उसके बाद कंचन वर्मा 2005 में आईएएस अफसर बन गयी। आईएएस कंचन वर्मा की ट्रैनिंग बरेली में 3 जून से 18 अगस्त 2007 तक हुई। उसके बाद शासन ने कंचन वर्मा को जनपद सीतापुर में 19 अगस्त 2007 को ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात कर दिया, यहां पर कंचन वर्मा ने 25 अगस्त 2008 तक ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पद पर कमान संभाली। 26 अगस्त 2008 को जनपद नोएडा में चीफ डवल्पमेंट आॅफिसर के रूप में तैनात किया गया। वह यहां पर 16 जून 2009 तक तैनात रही। उसके बाद कंचन वर्मा को जनपद बलरामपुर में 17 जून 2009 को जिला मजिस्ट्रेट के पद पर भेजा गया यहा भी लगभग एक साल तक कमान संभाली। उसके बाद 2 मई 2010 को जनपद भदोही के जिला मजिस्ट्रेट के पद पर मुकर्रर किया गया। भदोही से 2 जुलाई 2011 को तबादला कर जनपद श्रावस्ती जिलाधिकारी के पद पर भेजा गया।
आईएएस कंचन वर्मा का श्रावस्ती जिला मजिस्टेªट के पद से ट्रांसफर कर 14 अप्रैल 2012 को फतेहपुर भेजा गया। जनपद फतेहपुर में रहते हुए आईएएस कंचन वर्मा ने परिषदीय स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रयास शुरू किया। क्षेत्र भ्रमण में जो भी परिषदीय स्कूल मिलता था, उसमें कम से कम एक घंटे का समय देकर बच्चों को खुद पढ़ाती थीं। जिले में उन्होंने परिषदीय स्कूलों के मूल्यांकन परीक्षा की परंपरा डाली। शिक्षकों की उपस्थिति सुधारने हेतु अपने स्तर से स्कूल खुलने के समय निरीक्षण किया। निरीक्षण और गुणवत्ता खराब वाले स्कूलों में कार्यरत पहली बार साढ़े तीन सौ शिक्षकों के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि जारी कर ऐतिहासिक काम किया था। दोबारा गुणवत्ता परीक्षा सितंबर 2013 में कराई। इसमें गुणवत्ता खराब होने पर तीन सौ शिक्षकों पर प्रतिकूल प्रविष्टि की कार्रवाई की, यह पत्रावली बीएसए कार्यालय पहुंची ही थी उसी दौरान आईएएस कंचन वर्मा का तबादला हो गया था। इसी जनपद में रहते हुए आईएएस कंचन वर्मा ने एक और महत्पूर्ण कार्य किया था। वो है ससुर खदेरी नदी को पुनर्जीवित करना। आईएएस कंचन वर्मा ने फतेहपुर में सूख चुकी ठीठौरा झील और ससुर खदेरी नदी को पुनर्जीवित करने का काम किया। इससे मनरेगा योजना में काम करने वाले मजदूरों को काम मिला। 7 हेक्टेयर में फैली ठिठौरा झील से ही ससुर खदेरी प्रथम और द्वितीय नदी निकलती है। समय बीतने के साथ झील सूख गई थी और नदी भी खत्म होने की कगार पर थी। हालत यह हो गई थी कि लोग नदी में खेती तक करने लगे थे। यह नदी 46 किमी लंबी थी। कंचन वर्मा ने डीएम रहते हुए 43 किमी तक की खुदाई करवाई थी। नतीजतन झील भी अपने पुराने स्वरूप में आ गई और नदी 12 से लेकर 45 मीटर की चैड़ाई में बहने लगी। यहां से कंचन वर्मा का 26 सितम्बर 2013 को तबादला हो गया था।
और भी बहुत सारे काम अपनी देख रेख में इन्होने कराये.
अब इन्हे महानिदेशक, स्कूल शिक्षा पद की जिम्मेदारी मिली.