शिक्षिका का अश्लील वीडियो छात्र ने बनाया

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गोरखपुर। शाहपुर क्षेत्र के एक स्कूल के नौवीं के छात्र ने एआई की मदद से स्कूल की शिक्षिका का अश्लील वीडियो बना इंस्टाग्राम पर वायरल कर दिया। साइबर सेल की टीम ने मामले का खुलासा कर शाहपुर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने आरोपी को पकड़ लिया है। 

गोरखपुर,  शाहपुर क्षेत्र के एक विद्यालय की शिक्षिका का आपत्तिजनक वीडियो उसी विद्यालय के नौवीं के छात्र ने इंस्टाग्राम पर वायरल किया था। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से उसने शिक्षिका का वीडियो बनाया। शिकायत की जांच साइबर सेल के एक्सपर्ट शशि शंकर राय, शशिकांत जायसवाल और नीतू नाविक की टीम ने करके शाहपुर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने आरोपी को पकड़ लिया है।

जानकारी के मुताबिक, शाहपुर के एक मोहल्ले की महिला कान्वेंट स्कूल में शिक्षिका है। एसएसपी को दिए प्रार्थना पत्र में पीड़िता ने लिखा है कि गुरुवार की सुबह स्कूल गई तो बच्चों ने बताया उनका फोटो एडिट करके विद्यालय के नाम से इंस्टाग्राम पर आईडी बनाकर कोई अश्लील वीडियो बनाकर भेज रहा है। उसने कई लोगों को फोटो और वीडियो लगाककर फ्रेंड रिक्वेस्ट भी भेजा है। वीडियो में आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया गया है।

शिक्षिका वीडियो देखने के बाद परेशान हो गई। उन्होंने परिजनों के साथ एसएसपी से मिलकर कार्रवाई की मांग की। एसएसपी के निर्देश पर शुक्रवार को शाहपुर पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जांच के बाद सामने आया कि आरोपी उसी स्कूल में पढ़ने वाला छात्र है। उसने ही एआई तकनीक का इस्तेमाल करके यह हरकत की है।

यह है एआई वीडियो क्लोनिंग टूल

एआई वीडियो क्लोनिंग टूल एक प्रकार से वीडियो में हेराफेरी का एक रूप है, जहां कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की विभिन्न छवियों को फीड करके उसमें बदलाव कर सकता है। इसके अलावा, नए व्यक्ति की लगभग एक या दो मिनट की वॉइस रिकॉर्डिंग सबमिट करके वीडियो में व्यक्ति की आवाज और शब्दों को भी बदल सकता है। वैज्ञानिक भाषा में कहा जाए तो यह सॉफ्टवेयर डीप-लर्निंग एल्गोरिदम पर आधारित होता है। इसका इस्तेमाल किसी व्यक्ति का नकली वीडियो उसके ही आवाज के ऑडियो के साथ तैयार करने के लिए किया जाता है। यह वीडियो में वॉइस ओवर, बैकग्राउंड परिवर्तन सहित ऑडियो संपादन कार्यों को आसानी से करता है।

● राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल cyber.gov.in बनाया गया। इस पर साइबर अपराध से संबंधित शिकायत 24 घंटे और सातों दिन दर्ज करवा सकते हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी तय

आईटी एक्ट 2000 किसी भी इंसान को उसकी प्राइवेसी को लेकर सुरक्षा प्रदान करता है। ऐसे में अगर कोई डीप फेक वीडियो या तस्वीर किसी की मर्जी के बगैर बना कर कोई कानून तोड़ता है, तो उसके खिलाफ शिकायत की जा सकती है। धारा 66डी के तहत गुनहगार पाए जाने पर उसे तीन साल तक की सजा और एक लाख तक का जुर्माना हो सकता है। आईटी एक्ट में ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की भी जिम्मेदारी तय की गई है।