तकनीकी कारणों से अटके आयकर रिफंड के मामलों में करदाताओं को राहत मिलने जा रही है। विशेषकर उनके लिए जिन्हें पिछले चार आकलन वर्षों के लिए रिफंड नहीं मिला है। आयकर विभाग इन मामलों को तेजी से निपटाते हुए 31 जनवरी 2024 तक संबंधित करदाताओं के खाते में बकाया राशि जारी कर देगा। विभाग की ओर से आदेश जारी कर दिया गया है।
विभाग के अनुसार, कई करदाताओं के आयकर रिटर्न (आईटीआर) को समय सीमा खत्म होने की वजह से प्रोसेस नहीं किया जा सका था। वहीं, कुछ मामलों में आईटीआर में आई तकनीकी दिक्कतों की वजह से भी इनका सत्यापन नहीं हो सका। इसके चलते करदाताओं के रिफंड दावे निपटाए नहीं जा सके।
इन शर्तों को पूरा करना होगा विभाग के अनुसार, पुराने मामलों में रिफंड तभी जारी किया जाएगा, जब आईटीआर में करदाता द्वारा की गई गणना आयकर विभाग की गणना से मेल खाती हो। आयकर विभाग द्वारा रिफंड मंजूर होते ही करदाता को ई-मेल भेजकर सूचित किया जाएगा। उन्हें आयकर रिफंड 31 जनवरी 2024 तक जारी कर दिया जाएगा।
नौ माह की समयसीमा
मौजूदा नियमों के अनुसार, विभाग को वित्त वर्ष की समाप्ति से नौ महीने के भीतर आईटीआर को प्रोसेस कर रिफंड जारी करना होता है। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2021-22 (आकलन वर्ष 2022-23) के लिए दाखिल किए गए आईटीआर 31 दिसंबर 2023 तक प्रोसेस होंगे। इससे पहले विभाग विभाग को वित्त वर्ष की समाप्ति से एक वर्ष का समय मिलता था।
जिसमें आईटीआर दाखिल किया गया था।
दान की फर्जी रसीद लगाने वालों को नोटिस
आयकर विभाग उन आयकर रिटर्न की दोबारा जांच कर रहा है, जिनमें चैरिटेबल संस्थाओं और राजनीतिक दलों को दिए गए दान पर कर छूट का दावा किया गया है। कुछ मामलों में दान की रसीद फर्जी पाई गई है। विभाग ने इन करदाताओं को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। यह मामले वित्त वर्ष 2020-19 के हैं। विभाग ने ये नोटिस आयकर की धारा 138 और 148 (ए) के तहत जारी किए हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से विभाग ने उन लोगों की पहचान की है, जिनकी आय और दान का अनुपात सही नहीं लगता है। उनसे नोटिस में वाजिव कारण पूछा गया है। जिन मामलों में कर छूट की रशि बड़ी है, उनसे दोबारा संशोधित रिटर्न दाखिल करने को कहा गया है।