प्रयागराज। सुनो सरकार हमारी भी हम भी राष्ट्र पुजारी, खड़ा देश का गौरव जिस पर उसकी करते तैयारी।। हमारे देश मे जहां गुरु/शिक्षक को भगवान से भी बड़ा दर्जा दिया जाता है, जिस पर राष्ट्र की जिम्मेदारी तय होती है उस आने वाली पीढ़ी को तैयार करता है परन्तु आज उसी गुरु / शिक्षक का बुढापा संकट में है, उसी का आत्म सम्मान संकट में है।
परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक और शिक्षि ाकाएं अपनी पूरी निष्ठा और समपर्ण के साथ पूरे मनोयोग से कार्य कर रहे है, निष्ठा रहा हो या प्रेरणा या अब निपुण भारत मिशन जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम को धरातल पर उतार रहे है, हमारे शिक्ष् ाक साथियों के मेहनत का परिणाम ये है कि नीति नियंताओं द्वारा निर्धारित समय सीमा से भी पहले और ज्यादा बच्चे आगे निकलने में कामयाब रहे है, हो रहे है और होंगे भी।
सरकार द्वारा नियोजित हर युद्ध को हम सब जीत रहे है, सरकार द्वारा निर्धारित हर काम को हम सब पूरे मनोयोग, निष्ठा और समर्पण से लगाकर लक्ष्य सन्धान कर रहे है, स- रकार द्वारा आदेशित हर जोखिम भरे काम को भी कर रहे है चाहे कोविड ड्यूटी रहा हो, महामारी, पल्स पोलियो, चुनाव ड्यूटी आदि में जान जोखिम में डालकर कार्य करते है। रविवार की छुट्टियां विभागीय कार्यों को संपादित करने के लिए बलिदान कर दी गई है। आज शिक्षक सायद ही कोई ऐसा काम हो विभाग और विभाग से इतर का जो न कर हो, किसी नेता, राजनेता, मंत्री मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, कुम्भ मेला हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज करा है विभगिय अधिकारियों के आदेश के क्रम में।
हम सब आपके हर आदेश को हर काम को सर आंखों पर रखकर सम्पूर्ण समपर्ण और निष्ठा से और यहां तक की जान जोखिम में डालकर कर रहे है, हम लोगो की छुट्टियां काटी रहा गई, साल भर में केवल 14 छुट्टी, संडे को भी काम लिया जा रहा है फिर भी हम लोग शांतिपूर्ण तरीके से करते है, आज सैकड़ो काम शिक्षण कार्य के अलावा कर रहे हैं परन्तु फिर भी हम सबके साथ दोहरी निति अपनाई जा रही है, हम सबकी सिर्फ एक मांग पुरानी पेंशन है, जिससे हम सब 2005 से वंचित है। हम सबका किसी से कोई विरोध नही है, कोई आपत्ति नही है, बस हम सबको एक बार पुनः पुरानी पेंशन से आच्छादित कर दीजिए। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि बस एक काम जो हम सबके बुढापे की लाठी है, सहारा है, हम सबके आत्मसम्मान के लिए जरूरी है, पुरानी पेंशन बहाल कर दीजिये, प्रदेश का सम्पूर्ण शिक्षक समुदाय कमचारी आपके प्रति आभारी रहेगा। उक्त बातें सहायक अध्यापक अशोक द्विवेदी ने कही।