मायूसी: कर्मचारियों की कई उम्मीदें पूरी नहीं हुईं, बजट को लेकर प्रदेश के लाखों कर्मचारी मायूस

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बजट को लेकर प्रदेश के लाखों कर्मचारी मायूस हैं। बजट में राहत न देना और पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा न होने से शिक्षक व कर्मचारियों में आक्रोश है। प्रदेश महामंत्री डॉ. नीरजपति त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षक-कर्मचारियों के विषय पर सरकार संवेदनहीन है। प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि कर्मचारियों व शिक्षकों को प्रदेश सरकार से बहुत उम्मीदें थी पर सरकार ने कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लेने से लोगों में निराशा है। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने नाराजगी जताई।

रोजगार के लिए और प्रयासों की जरूरत

संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने स्थाई रोजगार सृजन की दिशा में कोई योजना ना होने पर भी चिंता व्यक्त की है। निजीकरण की योजनाएं कभी भी जनहित में नहीं हो सकती, इसलिए सरकार को स्थाई रोजगार की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। संविदा प्रथा और ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने के स्थान पर बढ़ावा दिया जा रहा है, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में सभी पदों पर संविदा पर भर्ती की जाती है, स्थाई रोजगार सृजन ना होने से तकनीकी योग्यता धारक लोगों को या तो बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है या अल्प वेतन और भविष्य की असुरक्षा के बीच कार्य करना पड़ रहा है। संविदा कर्मचारियों को अपने मानदेय बढ़ाने का भी इंतजार था जो पूरा नहीं हुआ।

कर्मचारी हितों की अनदेखी का आरोप

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने प्रदेश सरकार के बजट में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा न किए जाने सहित कर्मचारी हितों को नजरंदाज किए जाने का आरोप लगाते हुए बजट को कर्मचारी हितों के प्रतिकूल बताया है। परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा और प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने संयुक्त रूप से कहा कि कर्मचारियों की मांग थी कि पुरानी पेंशन बहाल की जाए, लेकिन बजट में कोई घोषणा नहीं की गई, इसलिए कर्मचारियों के लिए यह बजट आशा के विपरीत रहा है।

सोचा था बजट में कम से कम चिकित्सा विभाग को 25 फीसदी कोरोना वारियर्स एलाउन्सेज मिलेगा। रुका हुआ परिवार कल्याण भत्ता, शहरी भत्ता मिलेगा। कुछ नहीं मिला। अशोक कुमार, प्रधान महासचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ

चिकित्सा क्षेत्र में सराहनीय प्रयास किए गए। पर, स्वास्थ्य कर्मियों के हित के लिए इस बार बजट में कोई प्रावधान नहीं होने से मेडिकल से जुड़े कर्मचारियों में निराशा है। धर्मेश कुमार, पूर्व महामंत्री, कर्मचारी महासंघ पीजीआई