राज्य सरकार ले अध्यापकों की 17140 वेतन की मांग पर निर्णय : उच्च न्यायालय

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के उच्चतर प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत प्रोन्नति प्राप्त अध्यापकों को सीधी भर्ती वाले अध्यापकों के समान वेतनमान दिए जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका निस्तारित कर दी है। कोर्ट ने कहा कि समान कार्य के लिए समान वेतन का मामला याची राज्य सरकार के समक्ष ले जाए और राज्य सरकार उनके प्रत्यावेदन पर नियमानुसार निर्णय ले। लालचंद्र और 113 अन्य अध्यापकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने दिया है.

याचिका में 9 जून 2014 के शासनादेश को चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई थी। याची उप्रा विद्यालयों में सहायक अध्यापक नियुक्त हुए। बाद में उनको 13 अगस्त 2009 से 30 दिसंबर 2009 के बीच प्रोन्नति दी गई। छठवें वेतन आयोग की सिफारिश को 10 जनवरी 2006 से लागू किया गया, इसके संबंध में सरकार ने 8 दिसंबर 2008 को शासनादेश जारी किया। शासनादेश में प्रावधान था कि एक जनवरी 2006 और 8 दिसंबर 2008 के बीच प्रोन्नत हुए या सेलेक्शन ग्रेड प्राप्त करने वाले अध्यापक के लिए वर्तमान वेतनमान या छठवें वेतन आयोग की सिफारिश के वेतनमान में से एक विकल्प चुनने का अवसर दिया गया, क्योंकि याचीगण 8 दिसंबर 2008 के बाद प्रोन्नत हुए थे इसलिए उनको इसका लाभ नहीं मिला। हालांकि कई योग्य अध्यापकों ने भी विकल्प नहीं भरा। जिसके लिए राज्य सरकार ने 9 जून 2014 को पुनः शासनादेश जारी कर उनको एक और अवसर दिया। याचीगण का कहना था कि एक दिसंबर 2008 के बाद प्रोन्नत होने के कारण उन्हें वेतनमान चुनने का विकल्प नहीं दिया गया। जिसकी वजह से सीधी भर्ती से आए लोगों को उच्च वेतन मान मिल रहा है जबकि इस पद पर प्रोन्नत हुए शिक्षकों को उनसे कम।