लखनऊ। प्रदेश के लगभग 25 हजार वित्तविहीन मान्यता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के लाखों शिक्षकों का शोषण रोकने के लिए बड़ी पहल की गई है। इसके तहत इन कॉलेजों को अपने यहां तैनात शिक्षकों का वेतन सीधे उनके बैंक खातों में या चेक के माध्यम से देना होगा। इससे कॉलेजों की सच्चाई भी सामने आएगी क्योंकि अभी तक वे शिक्षकों को आधा-अधूरा व मनमाना पैसा ही देते थे।
वित्तविहीन विद्यालयों में शिक्षकों को कहीं पांच तो कहीं आठ हजार रुपये वेतन दिया जा रहा है, जबकि उन्हें न्यूनतम 15 हजार रुपये वेतन व अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए। यह मामला कई बार शासन के संज्ञान में लाया गया। शिक्षक संघ भी काफी समय से मांग कर रहे थे कि शिक्षकों का वेतन बैंक खाते में भेजा जाए, क्योंकि काफी कम वेतन पर उनसे पूरा काम लिया जाता है। उन्हें छुट्टी आदि मिलने में काफी दिक्कत आती है।
शासन ने इस बाबत पूर्व में आदेश जारी किया था, लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा था। इसी क्रम में अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक, मंडलीय उपशिक्षा निदेशक, डीआईओएस और वित्त व लेखाधिकारी को निर्देश दिया है कि ऐसे विद्यालयों में वेतन व अन्य भुगतान बैंक खाते में या चेक से किया जाए। ऐसा न करने पर उनकी मान्यता को लेकर सख्ती की जाएगी।
अपर शिक्षा निदेशक ने यह भी निर्देश दिया है कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को फॉर्म 16 निशुल्क दिया जाए। जानकारी के अनुसार कई कॉलेज इसके लिए भी शिक्षकों-कर्मचारियों से शुल्क लेते हैं। शुल्क न देने पर उन्हें फॉर्म नहीं दिया जाता है