संभल। कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर अब परिषदीय स्कूलों में भी अभिभावक हेल्प डेस्क बनाई जाएगी। इसमें अभिभावकों को स्कूलों में मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी दी जाएगी। साथ ही बच्चों की शैक्षिक प्रगति भी बताई जाएगी। बेसिक शिक्षा विभाग ने इसको प्रभावी बनाने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। अप्रैल से जुलाई माह के बीच इसको स्कूलों में व्यवस्थित करने का निर्देश दिया गया है।
संभल जिले में 1289 प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और कंपोजिट विद्यालय संचालित हैं। इनमें दो लाख के करीब विद्यार्थी पंजीकृत हैं। दरअसल, सरकारी स्कूलों में योजनाओं के माध्यम से काफी परिवर्तन लाया जा चुका है, लेकिन अब भी कुछ गतिविधियां हैं, जो काॅन्वेंट से कम हैं। इसके कारण बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए अभिभावक निजी स्कूलों की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। वजह इनमें हर महीने मासिक टेस्ट होता है। अभिभावकों के साथ बैठक कर बच्चों के बारे में बताया जाता है, जबकि परिषदीय विद्यालयों में यह व्यवस्था नहीं है। अब परिषदीय विद्यालयों में हेल्प डेस्क बनाने की योजना तैयार हुई है। बीएसए ने बताया कि हेल्प डेस्क से अभिभावकों को स्कूलों में मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी दी जाएगी।
साथ ही, बच्चों की शैक्षिक प्रगति भी बताई जाएगी। इस दौरान अभिभावकों की ओर से यदि कोई शिकायत मिलेगी तो उसका रिकार्ड सुरक्षित रखने के लिए रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए काफी प्रयास किया जा रहा है। बच्चों के बौद्धिक विकास में अभिभावकों की भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए शासन स्तर से यह पहल की गई है। इसके बाद जिले में भी अभिभावकों में शिक्षा के प्रति जागरुकता लाने के प्रयास ब्लॉक स्तर पर किए जा रहे हैं। सभी स्कूलों में हेल्प डेस्क बनाने के लिए प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिए गए हैं।
सरकारी योजनाओं की भी मिल सकेगी जानकारी
हेल्प डेस्क से सरकारी योजनाओं का भी प्रचार-प्रसार होगा। समग्र शिक्षा योजना, बेटी बचाओ, कन्या सुमंगला योजना आदि की जानकारियां दी जाएंगी। साथ ही आउट ऑफ स्कूल बच्चों के बारे में भी अभिभावकों को बताया जाएगा। यही नहीं, स्कूल में वापसी का प्रयास भी डेस्क के माध्यम से होगा।
सभी प्रधानाध्यापकों को हेल्प डेस्क बनाने के लिए आदेशित किया है। अभिभावकों को यदि कोई शिकायत रहती है, तो वह हेल्प डेस्क पर दर्ज करा सकते हैं, शिकायतों को रिकॉर्ड के रूप में सहेजा जाएगा। वह बच्चों की शैक्षिक स्थिति के बारे में भी जान सकेंगे। -चंद्रशेखर, बीएसए