दिल्ली उच्च न्यायालय ने नर्सरी दाखिले को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। उच्च न्यायालय ने निजी स्कूल में दाखिले के लिए तीसरे बच्चे को सिब्लिग (एक ही स्कूल में पहले से पढ़ रहे भाई-बहन) का लाभ नहीं दिया जा सकता।
न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने निजी स्कूल के पक्ष में फैसला सुनाया है। पीठ ने उन अभिभावक की याचिका खारिज कर दी है जिनकी दलील थी कि उनके दो बच्चे पहले ही प्रतिवादी निजी स्कूल में पढ़ रहे हैं।
लेकिन उनके तीसरे बच्चे को उसके बड़े भाई-बहन के आधार पर दाखिले के लिए 20 नंबर नहीं दिए गए हैं। पीठ ने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत एक भाई या बहन के पहले से संबंधित स्कूल में पढ़ने के लिए 20 अंक अतिरिक्त दिए जाते हैं, लेकिन तीसरे बच्चे के दाखिले पर यह नियम लागू नहीं होता है।
वहीं, पीठ ने निजी स्कूल के अधिवक्ता अतुल जैन द्वारा पेश शिक्षा निदेशालय के परिपत्र पर गौर किया। इस परिपत्र में तीसरे बच्चे को सिब्लिग का लाभ नहीं देने का जिक्र किया गया है। इस मामले में एक पेंच यह भी
आया कि बच्चे के परिजनों ने संबंधित स्कूल में दो फार्म भरे। दोनों पर घर का पता एक था, लेकिन दोनों में स्कूल से घर को लेकर अलग-अलग दूरी भरी गई। उच्च न्यायालय के समक्ष यह तथ्य सामने आने पर परिजन कटघरे में आ गए। बच्चे के परिजनों
का कहना था कि उन्हें स्कूल से दूरी को लेकर 65 अंक दिए गए हैं। लेकिन यदि सिब्लिग लाभ के तौर पर 20 अंक और मिल जाते तो उनके तीनों बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ सकते। स्कूल ने तीसरे बच्चे का दाखिला फार्म रद्द कर दिया है। पीठ ने
माना कि याचिकाकर्ता अभिभावक
ऐसा कोई नियम-कानून या शिक्षा निदेशालय का परिपत्र (सर्कुलर) पेश करने में असफल रहा है, जिससे यह साबित होता हो कि तीसरे बच्चे को सिब्लिग का लाभ ना देने में गलती की गई है.
स्कूल ऑफ एक्सीलेंस पर नियम लागू होता है
अपनी तीसरी संतान को निजी स्कूल में नर्सरी में दाखिले के लिए उच्च न्यायालय पहुंचे परिजनों का कहना था कि दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने 26 फरवरी 2020 को एक परिपत्र जारी किया था, जिसके आधार पर तीसरे बच्चे को सहोदर (सिब्लिंग) को अतिरिक्त 20 अंक देने का प्रावधान था। इसका विरोध करते हुए निजी स्कूल के अधिवक्ता अतुल जैन ने इस परिपत्र का विस्तृत उल्लेख करते हुए। कहा कि यह परिप दिल्ली सरकार के स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के लिए जारी किया गया था।