इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कार्यवाहक प्रधानाध्यापक के तौर पर काम कर रहे अध्यापकों को प्रधानाध्यापक पद का वेतन व सभी भत्ते देने का निर्देश दिया है। त्रिपुरारी दुबे व एक अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने दिया।
याची का कहना था की उसकी नियुक्ति वर्ष 2005 में हुई तथा वह उच्च प्राथमिक व संविलियन विद्यालय में कार्यवाहक प्रधानाध्यापक के रूप में 31 मई 2014 से कार्य कर रहा है। इस विद्यालय में कभी भी नियमित प्रधानाध्यापक की नियुक्ति नहीं की गई। प्रधानाध्यापक के तौर पर काम करने के बावजूद याची को इस पद का वेतन नहीं दिया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि चूंकी वह प्रधानाध्यापक पद की अहर्ता नहीं रखते हैं इसलिए उनको नियमित प्रधानाध्यापक पद का वेतन नहीं दिया जाएगा।
याचीगण की ओर से अपने दावे के समर्थन में हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णीत कई वादों की नजीरें पेश की गई। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचीगण को 31 मई 2014 से प्रधानाध्यापक पद का वेतन व सभी भत्ते का भुगतान करने का निर्देश दिया।