परिषदीय विद्यालयों में स्मार्ट क्लास का संचालन तो कर दिया, लेकिन शिक्षकों की कमी बरकरार

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मुरादाबाद। बेसिक शिक्षा विभाग के शहर के परिषदीय विद्यालयों में स्मार्ट क्लास का संचालन तो कर दिया, लेकिन शिक्षकों की कमी उद्देश्य पूर्ति में अड़चन बन रही है। स्थिति यह है कि शहर के दो विद्यालय शिक्षक विहीन हैं, जबकि पांच विद्यालयों में तो सिर्फ एक-एक ही शिक्षक हैं। बीएसए का कहना है कि शिक्षकों की कमी का मुद्दा समय-समय पर उच्च अधिकारियों के सामने उठाया जाता है। शासन स्तर में भी इसकी रिपोर्ट भेजी गई है।

मुरादाबाद नगर में वर्तमान में 52 स्कूल हैं। यहां पर करीब आठ हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। नगर क्षेत्र में वर्ष 2011 में शिक्षकों ने स्थानांतरण के बाद स्कूलों में नियुक्ति ली थी। इसके बाद विद्यालयों में कोई शिक्षक नहीं आया है, जबकि प्रतिवर्ष शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं। नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय भूड़ा देहरी और प्राथमिक विद्यालय कन्या नवाबपुरा शिक्षकविहीन स्कूल हैं। यहां पर पहले एक-एक शिक्षक को संबद्ध कर दिया गया था, लेकिन पिछले दिनों संबद्धता समाप्त हो गई है। अब जुलाई से यहां पर बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की समस्या रहेगी।

वहीं प्राथमिक विद्यालय कुंदनपुर, कन्या जूनियर हाईस्कूल, कन्या जूनियर हाईस्कूल मऊ स्कूल एकल विद्यालय हैं। यहां पर एक-एक शिक्षक ही कार्यरत हैं। वहीं, कंपोजिट विद्यालय लोदीपुर जवाहरनगर, कंपोजिट विद्यालय सोनकपुर में एक-एक शिक्षिका पर आठ कक्षाओं को पढ़ाने की जिम्मेदारी है। इसमें से कंपोजिट विद्यालय सोनकपुर की शिक्षिका पर एआरपी की भी जिम्मेदारी है। यहां पर सौ से अधिक छात्र नामांकन है। इसकी वजह से यहां पर शिक्षण कार्य प्रभावित होता है।

30 बच्चों पर एक शिक्षक का मानक

शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा एक से पांच तक की कक्षाओं में 30 बच्चों पर एक शिक्षक की तैनाती होनी चाहिए। इसी तरह कक्षा 6 से 8 के विद्यालयों में 35 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए। मगर, शिक्षकों की कमी के चलते अधिकतर विद्यालयों में यह मानक पूरा नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा तैनात शिक्षकों पर अध्यापन कार्य के अलावा अन्य विभागीय जिम्मेदारियों का भी बोझ है।

आकस्मिक अवकाश में होती है समस्या

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महानगर अध्यक्ष राकेश कौशिक का कहना है कि एकल विद्यालय होने की वजह से यदि शिक्षक को आकस्मिक अवकाश लेना होता है तो अधिकारी वहां पर दूसरे विद्यालय से शिक्षक की व्यवस्था करते हैं, तब स्कूल खुलता है। इसके अलावा एक शिक्षक पर पढ़ाई के अलावा विभागीय कार्यों और अन्य कार्यों की भी जिम्मेदारी रहती है। इससे पढ़ाई प्रभावित होती है।

ग्रामीण और नगर अलग-अलग कैडर हैं। नई भर्तियां नगर क्षेत्र में नहीं होती हैं। बैठकों में उच्चाधिकारियों के संज्ञान में शिक्षकों की कमी की जानकारी दी गई थी। उन्होंने जल्द ही इस दिशा में सकारात्मक प्रयास होने का आश्वासन दिया है।

डॉ. अजीत कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी