लखनऊ। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) की ओर से लगाया गया जुर्माना सभी मेडिकल कॉलेज जमा करेंगे। जुर्माना जमा करने के बाद व्यवस्था सुधार करेंगे और 50 दिन बाद दोबारा अपील करेंगे। यह फैसला बुधवार को हुई चिकित्सा शिक्षा विभाग की बैठक में लिया गया।
प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों की ओर से आधार आधारित बायोमीट्रिक हाजिरी नहीं होने पर जुर्माना लगाया गया है। केजीएमयू, जीएसवीएम कानपुर पर 20-20 लाख एवं अन्य कॉलेजों पर इससे कम राशि का जुर्माना लगा है। इसे लेकर बुधवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं प्रधानाचार्यों की संयुक्त बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक लखनऊ में हुई बैठक में तय किया गया कि सभी कॉलेज आउटसोर्सिंग आर सर्विसेज मद से जुर्माना राशि जमा कर देंगे। यह राशि सशर्त जमा की जाएगी। एनएमसी की ओर से अपील के लिए 60 दिन का समय दिया गया है। ऐसे में 50 दिन में व्यवस्थाएं
सुधारी जाएंगी। फिर सुधार का ब्यौरा देते हुए जुर्माना माफी और जमा की गई राशि वापस करने की अपील की जाएगी।
फंस सकता है प्रधानाचार्यों का गला : सूत्रों के मुताबिक प्रधानाचार्य को इस मद से सिर्फ एक लाख रुपये जमा करने का अधिकार है। प्रधानाचार्यों ने जुर्माना राशि जमा करने के लिए विभागीय अनुमति नहीं ली है। ऐसे में भविष्य में पूरे मामले की ऑडिट हुई तो उनका गला फंस सकता है, क्योंकि चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी पूरे मामले के लिए प्रधानाचार्यों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। चूंकि बैठक में प्रधानाचार्यों की जिम्मेदारी तय करने की चेतावनी दी गई है। ऐसे में कई प्रधानाचार्य यह भी आशंका जता रहे हैं कि देर सबेर उनका गला फंसना तय है। क्योंकि किसी भी कॉलेज पर जुर्माना दो लाख से कम नहीं है।