सूबे के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के समायोजन की कवायद एक बार फिर से तेज हो गई है। बेसिक शिक्षा विभाग ने नए सत्र में जिले के अंदर शिक्षकों के समायोजन के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इस आदेश के चलते शिक्षकों के समायोजन में पेच फंसने के आसार हैं। इसका मुख्य कारण कॉमर्स को विज्ञान-गणित में शामिल करना और 30 सितंबर के बजाय 31 मार्च तक के पंजीकृत छात्रों के आधार पर समायोजन किया जाना है।
विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो पहले समायोजन में 30 सितंबर तक के पंजीकृत छात्रों की संख्या मानी जाती थी लेकिन अब 31 मार्च तक के पंजीकृत छात्रों की संख्या के आधार पर स्कूलों में समायोजन किया जाएगा। मार्च में प्राथमिक में कक्षा पांच और उच्च प्राथमिक में कक्षा आठ के छात्र बाहर हो जाते हैं। शैक्षिक सत्र एक
अप्रैल से 31 मार्च तक होने के चलते छात्रों की संख्या स्कूल में कम होना लाजिमी है। छात्र संख्या कम होने पर उन विद्यालय के शिक्षकों का समायोजन किसी अन्य विद्यालय में हो सकता है। फिर वह शिक्षक इस प्रक्रिया को कोर्ट में चुनौती देने के लिए बाध्य होगा। जूनियर हाईस्कूलों में यानी कक्षा 6
से 8 तक में इस बार कॉमर्स से स्नातक शिक्षकों को मानव सम्पदा पोर्टल पर सब्जेक्ट मैपिंग में गणित-विज्ञान में दिखाया गया है जबकि उनकी नियुक्ति सामाजिक विषय के शिक्षक के तौर पर होती है। इसके चलते समायोजन का लाभ न पाने वाले विज्ञान गणित शिक्षक प्रक्रिया को चुनौती दे सकते हैं।
डीएम की अध्यक्षता में बनेगी कमेटी
जिले के अंदर समायोजन के लिए डीएम की अध्यक्षता वाली समिति होगी। इसमें उपाध्यक्ष सीडीओ, डायट प्राचार्य, वित्त व लेखाधिकारी बेसिक और बीएसए सदस्य होंगे। सत्र 2023- 24 में यू-डायस पोर्टल पर 31 मार्च को उपलब्ध छात्र संख्या के आधार पर आरटीई के नियमों के तहत विद्यालयों की आवश्यकता के अनुरूप शिक्षकों का समायोजन किया जाएगा।
शिक्षक अधिकतम 25 स्कूलों का भरेंगे विकल्प
जिस विद्यालय में वर्तमान में शिक्षकों की संख्या मानक से अधिक है। उन्हें कम शिक्षक वाले स्कूल में समायोजित किया जाएगा। इसमें भी ग्रामीण से ग्रामीण और शहर से शहर क्षेत्र के विद्यालयों में ही समायोजन होगा। शिक्षक समायोजन के लिए अधिकतम 25 विद्यालयों का विकल्प दे सकेंगे। बेसिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव अवधेश कुमार तिवारी के निर्देशानुसार अधिक शिक्षक वाले विद्यालयों में शिक्षकों की कम शिक्षकों वाले स्कूलों में नियुक्ति की जाए