प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए आवश्यक डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) प्रशिक्षण का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। पढ़ने-लिखने में कमजोर प्रशिक्षु प्रदेश के 2974 निजी कॉलेजों में से अधिकांश के संचालकों संग साठगांठ कर आंतरिक मूल्यांकन में पूरे अंक हासिल कर लेते हैं जिससे ईमानदारी के साथ पढ़ाई करने वाले अभ्यर्थी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से चार साल पहले मूल्यांकन की व्यवस्था में परिवर्तन का प्रस्ताव भेजा था जो अब तक लागू नहीं हो सका है।
वर्तमान में डीएलएड प्रशिक्षण के तहत पांच प्रश्नपत्रों हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित व शांति शिक्षा एवं सतत विकास में 25-25 अंक की लिखित परीक्षा होती है जबकि 25-25 अंक आंतरिक मूल्यांकन के लिए निर्धारित हैं। तीन प्रश्नपत्रों सामाजिक अध्ययन, आरंभिक स्तर पर भाषा एवं गणित के पठन-लेखन क्षमता का विकास और शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशासन में 50-50 अंक की लिखित परीक्षा एवं आंतरिक मूल्यांकन होता है। इसके अलावा शारीरिक शिक्षा, स्वास्थ्य, कला एवं संगीत विषय में पूरे 50 अंक आंतरिक मूल्यांकन के मिलते हैं।
इस प्रकार लिखित परीक्षा के लिए 375 और आंतरिक मूल्यांकन के लिए 425 अंक निर्धारित हैं। निजी कॉलेज प्रशिक्षुओं से वसूली कर मनमाने तरीके से अंक बांटते हैं। यही कारण है कि लिखित परीक्षा में 25 में 15 और 16 अंक पाने वाले अभ्यर्थी आंतरिक मूल्यांकन में पूरे 25 अंक पाते हैं। कुछ कॉलेजों, छात्रों को अपवादस्वरूप छोड़ दें तो 90 प्रतिशत प्रशिक्षुओं के अंकपत्र पर यही अंक देखने को मिलते हैं।
मूल्यांकन में नरमी के बावजूद बड़ी संख्या में फेल
डीएलएड प्रशिक्षुओं की कॉपियों के मूल्यांकन में नरमी के बावजूद बड़ी संख्या में फेल हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर 15 मार्च को घोषित परिणाम को ही देखें। डीएलएड 2021 चतुर्थ सेमेस्टर में पंजीकृत 76667 प्रशिक्षुओं में से 45854 सफल थे, जबकि द्वितीय सेमेस्टर में पंजीकृत 36000 प्रशिक्षुओं में से 21279 (60.38 फीसदी) सफल हुए। दोनों सेमेस्टर में लगभग 40 फीसदी प्रशिक्षु फेल हो गए थे। डीएलएड 2022 द्वितीय सेमेस्टर में पंजीकृत 65478 प्रशिक्षुओं में से 44987 (69.50 प्रतिशत) पास हैं। इसमें 30 फीसदी फेल हो गए थे।