मुजफ्फरनगर जिले के एक स्कूल में कथित तौर पर शिक्षिका द्वारा सहपाठी से एक छात्र को पिटवाने (थप्पड़ कांड) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूपी सरकार को पीड़ित बच्चे की शिक्षा का पूरा खर्च उठाने को प्रायोजक तलाशने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने यह निर्देश तब दिया, जब यूपी सरकार की ओर से कहा गया कि ‘एक गैर सरकारी संगठन ने बच्चे के शिक्षा का खर्च उठाने को सहमति दी है। जस्टिस अभय एस. ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि किसी को आगे आकर कहना चाहिए कि वे बच्चे की स्कूली शिक्षा समाप्त होने तक उसका पूरा खर्च उठाएंगे। पीठ ने यूपी सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गरिमा प्रसाद से कहा कि यह तरीका नहीं है, इससे उद्देश्य पूरा नहीं होगा। यह टिप्पणी करते हुए, शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार को पीड़ित बच्चे को समुचित शिक्षा मिले और शिक्षा पर आने वाला पूरा खर्च वहन करने वाले किसी व्यक्ति या संगठन की तलाश करने का निर्देश दिया है। इसके साथ, ही पीठ ने मामले की सुनवाई 2 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
सुनवाई के दौरान मुजफ्फरनगर के बीएसए संदीप कुमार पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित छात्र की शारदेन स्कूल में पढ़ाई नियमित रखने के आदेश दिए। बीएसए ने एनजीओ से बात कर छात्र की आगे की पढ़ाई और परिवहन खर्च के लिए जिम्मेदारी तय कर दी है। अगली सुनवाई के लिए दो सितंबर की तिथि लगी है। पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के शिक्षा विभाग को निर्देश दिया था कि बच्चे को समुचित शिक्षा देने के लिए, ऐसे व्यक्ति या संगठन को तलाशे जो खर्च वहन कर सके।