कई घंटे मोबाइल और टीवी देखने वाले बच्चे कब्ज की चपेट में आ रहे हैं। रील्स-गेम देखने में बेहद तल्लीन होने पर ये 24 से 48 घंटे तक शौच रोक लेते हैं। ज्यादा समय बाद शौच जाने पर सख्त हो चुका मल त्याग करते हुए अत्यधिक जोर लगाने, पेट दर्द, गैस आदि समस्याएं हो रही हैं। हाल के वर्षों में ये समस्या दो साल के बच्चों से लेकर 15 वर्ष तक के किशोरों में काफी बढ़ी है। यह खुलासा लखनऊ पीजीआई के पीडियाट्रिक गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग की ओपीडी में आए मरीजों के सर्वे में हुआ है।
डॉक्टरों के मुताबिक हर महीने यहां यूपी के साथ बिहार आदि राज्यों से कब्ज से पीड़ित औसतन 150 बच्चे रेफर होकर आ रहे हैं।
आतें जाम हो रही हैं पीजीआई के पीडियाट्रिक गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के डॉ. मोइनक सेन शर्मा के मुताबिक बच्चों में खेलकूद और शारीरिक गतिविधियां घट गईं हैं। बच्चे मोबाइल, टीवी, लैपटॉप के साथ ज्यादा समय बिता रहे हैं। इस दौरान ये शौच रोकते हैं, जिससे आगे कब्ज की दिक्कत हो जाती है। यही नहीं, ऐसे बच्चे नूडल्स, पिज्जा-बर्गर, चिप्स, कोल्ड ड्रिंक आदि जंक फूड भी खूब खाते हैं। पचा नहीं पाने से ये पेट में जाकर आंतों को जाम कर देता है और बच्चे कब्ज का शिकार बन जाते हैं।
संयमित जीवन शैली जरूरी डॉ. मोइनक सेन शर्मा के मुताबिक ये बच्चे कुछ माह के इलाज, खानपान और संयमित जीवन शैली अपनाकर कब्ज से छुटकारा पा सकते हैं। ऐसे मामले बढ़ने पर विभाग ने कब्ज के बच्चों की एक दिन विशेष ओपीडी शुरू की है, इसमें सिर्फ कब्ज पीड़ित बच्चों का इलाज होता है।
राहत के उपाय
● मोबाइल-टीवी देखने का समय सीमित और निश्चित करें
● शारीरिक गतिविधियों वाले कामों में ज्यादा से ज्यादा लगाएं
● चोकर वाली रोटी, छिलके वाले फल और दालें खिलाएं।
● हरी सब्जियां भी फायदेमंद।