सरकारी कर्मचारियों के लिए नई स्कीम का एलान, अब एनपीएस की जगह एकीकृत पेंशन योजना

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सरकारी कर्मचारियों में पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) की जोर पकड़ती मांग के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा एलान किया है। बताया गया है कि सरकार ने नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) की जगह अब सरकारी कर्मियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) यानी एकीकृत पेंशन योजना लॉन्च करने का फैसला किया है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसे लेकर सहमति बनी है।

राज्य सरकारों को भी एकीकृत पेंशन योजना चुनने का मिलेगा विकल्प

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को एकीकृत पेंशन योजना ( यूपीएस ) को मंजूरी दे दी, जिसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन, पारिवारिक पेंशन और सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन प्रदान करना है। इस बीच, राज्य सरकारों को भी एकीकृत पेंशन योजना चुनने का विकल्प दिया जाएगा। अगर राज्य सरकारें यूपीएस चुनती हैं, तो लाभार्थियों की संख्या करीब 90 लाख हो जाएगी।

पेंशन एरियर पर 800 करोड़ रुपये खर्च करेगी सरकार

सरकार के मुताबिक बकाया राशि (एरियर) पर 800 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। पहले साल में सालाना लागत में करीब 6,250 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होगी। यह योजना 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगी। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) और UPS में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया जाएगा। मौजूदा केंद्र सरकार के NPS ग्राहकों को UPS में स्विच करने का विकल्प भी दिया जाएगा।

पेंशन स्कीम में संशोधन के लिए पीएम मोदी ने अप्रैल 2023 में बनाई थी कमिटी

कैबिनेट के फैसले का एलान करते हुए केद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि देशभर में सरकारी कर्मचारियों की तरफ से हमेशा मांग आती रही कि एनपीएस स्कीम में सुधार किया जाए। इस सुधार के लिए अप्रैल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कमेटी बनाई थी। डॉ सोमनाथन इस कमिटी के चेयरमैन थे। इस कमिटी ने 100 से अधिक सरकारी कर्मचारी संगठनों के साथ बात की। करीब सभी राज्यों के साथ इस कमिटी ने बातचीत की। राज्य सरकारों के कर्मचारियों के संगठनों को भी तरजीह दी गई। पीएम ने इस विषय को गंभीरता से लिया था। कमिटी की सिफारिश के आधार पर सरकार ने एकीकृत पेंशन स्कीम को मंजूरी दी है।

तीन योजनाओं का विज्ञान धारा योजना में विलय

इसके अलावे केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने तीन प्रमुख योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दे दी, जिन्हें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की एकीकृत केन्द्रीय क्षेत्र योजना ‘विज्ञान धारा’ में विलय कर दिया गया है। ‘विज्ञान धारा’ योजना का प्राथमिक उद्देश्य देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार से संबंधित इकोसिस्टम को मजबूत करने की दिशा में विज्ञानं व प्रौद्योगिकी संबंधी क्षमता निर्माण के साथ-साथ अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना है। इस योजना के कार्यान्वयन से शैक्षणिक संस्थानों में पूर्ण रूप से सुसज्जित अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं को बढ़ावा देकर देश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाया जाएगा।पत्र सूचना कार्यालय के अनुसार इस योजना का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मेगा सुविधाओं तक पहुंच के बुनियादी अनुसंधान, टिकाऊ ऊर्जा, जल आदि क्षेत्र में उपयोग योग्य अनुसंधान और अंतर्राष्ट्रीय द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से सहयोगात्मक अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देना है। यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिदृश्य को मजबूत करने और पूर्णकालिक समतुल्य अनुसंधानकर्ताओं की संख्या में सुधार की दिशा में देश के अनुसंधान एवं विकास के आधार का विस्तार करने के लिए महत्वपूर्ण मानव संसाधन पूल के निर्माण में भी योगदान देगा।