स्कूलों को मिली कम्पोजिट ग्रांट, लेकिन खर्च करने में पीएमएस प्रणाली बनी रोड़ा, इस तारीख तक ग्रांट खर्च करने का फरमान

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सुल्तानपुर, परिषदीय विद्यालयों को छात्र संख्या के हिसाब से दिसम्बर महीने में भेजी गई कम्पोजिट ग्रांट खर्च करने में पीएमएस प्रणाली रोड़ा बनी हुई है। स्कूलों की मैपिंग नहीं हो पाने के कारण यू-डायस 2020-21 की छात्र संख्या के आधार पर ग्रांट जारी करने का निर्धारण किया गया था। समग्र शिक्षा अभियान राज्य परियोजना कार्यालय के निर्देश पर पहले से संचालित बैंक को बदलकर जीरो लेवल के खाते बैंकऑफ बड़ौदा में खोलवाए गए। बैंक बदलने से पैसे की निकासी में दिक्कत आ रही है।

ब्लॉक स्तर से यू-डायस पर लिए गए विद्यालयों में वर्ष 2020-21 में पंजीकृत छात्र-छात्राओं की संख्या के आधार पर 2064 स्कूलों में दिसम्बर महीने में कम्पोजिट ग्रांट भेजी गई। इसमें 1450 प्राथमिक विद्यालय, 343 उच्च प्राथमिक विद्यालय और 271 कम्पोजिट विद्यालय शामिल हैं। इसके पीछे तर्क दिया गया कि विद्यालयों की जोओ मैपिंग नहीं होने के कारण 2020-21 के यू-डायस की छात्र संख्या को कम्पोजिट ग्रांट भेजने का आधार बनाया गया। इस बार शासन के आदेश पर राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा अभियान के निर्देश पर पहले से खोले गए खातों को बदलकर बैंक ऑफ बड़ौदा में जीरो लेवल के खाते खोले गए। इसमें कम्पोजिट ग्रांट भेजी गई। इन खातों में पीएमएस प्रणाली लागू है। पीएमएस से कम्पोजिट ग्रांट की निकासी करने का नियम लागू कर दिया गया। इसके पहले प्रधानाध्यापक विद्यालयों का कायाकल्प करने के लिए कम्पोजिट ग्रांट को चेक से सीधे पैसा निकाल लेते थे। पुरानी छात्र संख्या के आधार से कम्पोजिट ग्रांट खाते में पहुंचने से प्रधानाध्यापकों में इसे लेकर उहापोह है।

15 मार्च तक ग्रांट खर्च करने का फरमान

राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा अभियान लखनऊ की ओर से बीएसए को निर्देशित किया गया है जिले के परिषदीय विद्यालयों के कायाकल्प के लिए भेजी गई कम्पोजिट ग्रांट को 15 मार्च तक प्राथमिकता के आधार पर खर्च कराया जाए। बीएसए ने इससे सम्बंधित निर्देश खण्ड शिक्षाधिकारियेां एवं प्रधानाध्यापकों को जारी किया गया है। जिला समन्वयक निर्माण आनंद शुक्ला ने बताया कि भेजी गई कम्पोजिट ग्रांट को निकालकर प्रधानाध्यापक तेजी से कार्य करा रहे हैं। बताया कि कुछ प्रधानाध्यापकों का कार्य काफी हद तक पूरा हो गया है। विद्यालयों में रंगाई-पुताई, पंखा, बिजली, पानी, शौचालय, बाउण्ड्रीवाल निर्माण, विद्यालयों के फर्नीचर,आलमारी, रजिस्टर, कुर्सी आदि दुरुस्त करना है। उन्होंने बताया कि निवर्तमान मुख्य विकास अधिकारी अतुल वत्स ने ग्राम पंचायतों की ओर से विद्यालयों के कायाकल्प के लिए धनराशि खर्च करने में देरी होने के कारण ग्रांट को भी इसमें उपयोग करने के लिए निर्देश दिए जाने के बाद इसे अमलीजामा पहनाया गया। डीसी ने बताया कि विभाग और ग्राम पंचायत की ओर से विद्यालयों को अच्छा बनाया जा रहा है।

यह है कम्पोजिट ग्रांट भेजने का नियम

परिषदीय विद्यालयों को कम्पोजिट ग्रांट भेजने का नियम यह है कि जहां 25 बच्चों की छात्र संख्या है वहां पर दस हजार, 26 से 100 बच्चों की संख्या पर 25 हजार, 101 से 250 तक छात्र संख्या पर 50 हजार और 250 से अधिक संख्या पर 75 हजार रूपए है। इन पैसों से परिषदीय विद्यालयों में 19 बिंदुओं पर काम कराया जाता रहा है। इसमें जैसे कुर्सी मेज खरीद, रजिस्टर, रंगाई पुताई, टाट, पट्टी, नल, जल आपूर्ति, बिजली उपकरण मरम्मत मदों में खर्च किए जा रहे हैं। ग्रांट से विद्यालयों को सुंदर बनाया जा रहा है। विभागीय लिपिकों ने इस ग्रांट को भेजने में खेल किया गया है। लेकिन विद्यालयों के शिक्षक व हेडमास्टर विभागीय डर के कारण कुछ बताने को तैयार नहीं हैं।

हर साल मिलती है कम्पोजिट ग्रांट

राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा अभियान की ओर से जिले के परिषदीय विद्यालयों का चकाचक बनाने को छात्र संख्या के आधार पर कम्पोजिट ग्रांट हर साल भेजी जाती है। प्रधानाध्यापकों और विभागीय अधिकारियेां एवं कर्मचारियों के सीधे खेल से विद्यालय जिस स्वरूप में होने चाहिए, उस तरह से नही हो सके हैं। कम्पोजिट ग्रांट को डकारने में प्रधानाध्यापक, बीईओ, लिपिक एवं डीसी की मुख्य भूमिका मानी जाती है। कुछ प्रधानाध्यापकों से इसके बारे में बात की गई तो उन्होंने सीधे तौर पर कुछ कहने से परहेज किया। लेकिन उनसे बातचीत से यह स्पष्ट हुआ की जिले से लेकर ब्लॉक स्तर के लोग इसे बंदरबांट में हैं।