, पीलीभीत: प्रदेश सरकार बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित परिषदीय विद्यालयों की दिशा व दशा बदलने का दावा करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत उससे जुदा है। प्रत्येक कक्षा की पढ़ाई वार्षिक परीक्षाओं के उपरांत होने वाले परीक्षाफल वितरण से संपन्न होती है। यह वर्षों से चली आ रही परंपरा है जिससे आला अधिकारी भी अपने छात्र जीवन में होकर गुजरे होंगे।
विद्यार्थियों में भी परीक्षाफल मिलने को लेकर खासा उत्साह रहता है, आखिर वर्ष भर की मेहनत के बाद उनका प्रदर्शन व अगली कक्षा में जाने का टिकट जो उनके हाथ में होता है। अफसोस, खोखले दावे करने वाले प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग को परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की सुध कहां। बीते व कई वर्षों से परिषदीय विद्यालयों में 31 मार्च को परीक्षाफल वितरण की तिथि ‘सुनिश्चित है। परीक्षाफल वितरण की तिथि नजदीक आने के बावजूद प्रदेश का बेसिक शिक्षा महकमा सोता रह गया। अंकपत्रों के मुद्रण व वितरण हेतु शासन स्तर से बजट ही आवंटित नहीं किया गया।
लापरवाही का आलम यह है कि परीक्षाफल वितरण का आदेश भी 27 मार्च को जारी किया गया है।अंकपत्र मुद्रण के लिए दो रुपये प्रति कार्ड दर निर्धारित की गई है, साथ ही प्रत्येक ब्लाक में खंड शिक्षा अधिकारी 1 को सदस्य सचिव नामित करते हुए छह 1 सदस्यीय समिति को अंकपत्र मुद्रण व 1 वितरण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अब 1 बिना बजट के अंकपत्रों का मुद्रण व 7 वितरण कैसे संभव होगा, इसको लेकर 5 असमंजस बना हुआ है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. अमित कुमार सिंह ने अंकपत्र की उपलब्धता सुनिश्चित होने ड तक परीक्षाफल रजिस्टर को व्यवस्थित करने व समस्त बच्चों को परीक्षाफल । पढ़कर सुनाने के आदेश दिए हैं।