लखनऊ : यूपी में कक्षा एक से आठवीं तक सरकारी स्कूलों में बच्चों की बढ़ती संख्या पर ब्रेक लग गया है। एक साल में बच्चों की संख्या 24 लाख घट गई। इससे शिक्षा विभाग के अफसरों की चिंता बढ़ गई है। सभी बीएसए को इस बार बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए कहा गया बीएसए भी स्कूलों को निर्देश दे रहे हैं।
ऐसे बढ़ी थी संख्या : यूपी के सरकारी स्कूलों में पिछले कुछ साल में बच्चों की संख्या बढ़ी थी। सरकार इसे अपनी उपलब्धियों में गिना रही थी। खुद बेसिक शिक्षा विभाग ने पिछले साल एक्स पर इसकी जानकारी दी थी और बताया था कि छह साल में बच्चों की संख्या 40 लाख बढ़ गई। उधर बेसिक स्कूलों की शिक्षा के स्तर पर अध्ययन करने वाली संस्था प्रथम ने अपनी ‘असर’ रिपोर्ट में बच्चों के बढ़ने का जिक्र किया था। असर रिपोर्ट में कोविड के दौरान 2018 से 2022 तक का अध्ययन किया गया था। इसमें बताया गया था कि सरकारी स्कूलों में छह से 14 साल तक के बच्चों की संख्या का प्रतिशत 44.7 से बढ़कर 59.6 प्रतिशत हो गया है। चेतावनी दिए जाने से शिक्षक नाराज हैं। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि कोविड के दौरान अचानक संख्या बढ़ी थी। आर्थिक तंगी के कारण लोगों ने निजी स्कूलों से बच्चों को निकालकर सरकारी में दाखिला कराया। अब जैसे-जैसे आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है, वे निजी स्कूलों की ओर जा रहे हैं। दूसरी वजह यह कि यूनिफॉर्म से लेकर एमडीएम तक पूरा लेखा- जोखा ऑनलाइन और आधार से दर्ज होने के कारण पंजीकृत छात्रों का दोहराव कम हुआ। इससे भी संख्या में अंतर आया है।
दिया जा रहा नोटिस
हाल ही में महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी बीएसए को पत्र लिखकर 2023-24 में कम हुए बच्चों की संख्या पर चिंता जताई है। 2022-23 की तुलना में लगभग 24 लाख बच्चे कम हो गए है। बच्चों की संख्या 2022-23 में 1.92 करोड़ थी। यह संख्या 1.68 करोड़ है। अब बच्चों की घटी संख्या को लेकर कई जिलों में बीएसए नोटिस दे रहे है और शिक्षकों को कार्रवाई की चेतावनी दी जा रही है।