इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अपना काम न कर दूसरे पर तोहमत मढ़ने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना मामलों की बाढ़ है। अधिकतर मामले प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नाकाबिलियत के कारण अवमानना के मामले बढ़ रहे हैं। इससे कोर्ट कार्यवाही में समय खराब हो रहा है क्योंकि एक अवमानना केस वर्षों चलता है और अंत में आदेश का पालन किया जाता है। ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा को लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है ताकि कोर्ट को इनके खिलाफ आदेश न करना पड़े।
यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सुनील कुमार दुबे की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता शैलेश पांडेय व अन्य को सुनकर दिया है। कोर्ट ने कहा कि आठ माह तक जिला विद्यालय निरीक्षक व अपर शिक्षा निदेशक बैठे रहे। जब अवमानना मामले की तारीख पास आई तो कहा उन्हें दो लाख से अधिक के भुगतान का अधिकार नहीं है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक के अनुमोदन पर ही भुगतान किया जा सकता है। यह भी कहा कि शिक्षा निदेशक को संस्तुति भेज दी गई है।
कोर्ट ने कहा कि माध्यमिक व प्राथमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की आदत है कि अपना कर्तव्य पालन न करना और ठीकरा दूसरे अधिकारी पर फोड़ देना। अधिकारियों को सर्कुलर की जानकारी थी कि निदेशक का अनुमोदन जरूरी है, फिर भी चुपचाप बैठे रहे और कोर्ट में पेश होने से पहले शिक्षा निदेशक को पत्रावली भेज दी। उसके बाद समय मांग लिया जबकि संस्तुति तत्काल भेजनी थी। कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को एक सप्ताह में निर्णय लेकर अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
याची आदर्श इंटर कॉलेज मिर्जापुर में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। हाईकोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक को छठें व सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत याची को अवशेष वेतन भुगतान करने का आदेश दिया था। याची को 20,73418 रुपये का भुगतान किया जाना है, जिसका पालन नहीं किया गया।