बेसिक शिक्षा परिषद के बच्चों में पढ़ने की आदत का विकास करने के लिए एक जनवरी से 100 डेज़ रीडिंग कैंपेन शुरू हुआ तो शिक्षक अपने-अपने तरीके से बच्चों तक पहुंचने लगे। ऑनलाइन और मोहल्ला क्लास में तो इस अभियान को चलाया जा रहा था लेकिन सभी बच्चों की भागीदारी नहीं हो पा रही थी।
ऐसे में उच्च प्राथमिक विद्यालय बगबना, चाका में सहायक अध्यापिका सबा रिज़वी ने आठ फरवरी को ई-रिक्शा पर एक आकर्षक मोबाइल लाइब्रेरी बनाई जिसका नाम-‘पुस्तकालय आपके द्वार’ रखा। इस लाइब्रेरी में 650 से लेकर 700 पुस्तकें तक हैं। अब वह ये मोबाइल लाइब्रेरी लेकर गांव-गांव पहुंच रही हैं तो बच्चे व अभिभावक अपने घरों से निकलकर खींचे चले आ रहे हैं और अपनी मनपसंद कहानियां पढ़ते हैं।
इस पुस्तकालय से पुस्तकें लेकर कहानियां पढ़ने पर प्रत्येक बच्चे को बैलून, पेन और कॉपी भी उपहारस्वरूप दी जाती है। यही नहीं ई-रिक्शा का किराया भी वह अपने वेतन से देती हैं। दस अप्रैल तक (14 सप्ताह) चलने वाले इस अभियान के बारे में सबा कहती हैं-‘मोबाइल लाइब्रेरी जैसे नवाचार का उद्देश्य हर बच्चे में पढ़ने की आदत के साथ ही भाषा कौशल एवं अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित करना है। इस सचल लाइब्रेरी ‘पुस्तकालय आपके द्वार’ के लिए या इस कैंपेन के लिए कोई धनराशि नहीं मिली है।’
नगर क्षेत्र में भी खुला सचल पुस्तकालय
प्राथमिक विद्यालय रसूलाबाद नगर क्षेत्र ने भी मोबाइल लाइब्रेरी (चलता फिरता पुस्तकालय) खोली है। ताकि जो बच्चे कोविड के कारण मोहल्ला क्लास नहीं करते या जो दूर- दराज़ रहते हैं,वह सब भी किताबें पढ़ सकें। प्रधानाध्यापिका डॉ. रूबी ओझा ने कहा, ‘पुस्तक पढ़ना एक अच्छी आदत है और यह भाषा एवं सामाजिक कौशल के विकास का शानदार माध्यम है।’