मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा राज्यपाल को इस्तीफा सौंपे जाते ही नई सरकार के गठन की वैधानिक प्रक्रिया शुरू हो गई तो इधर, भाजपा संगठन ने भी योगी सरकार 2.0 के गठन की तैयारी शुरू कर दी है। संभावना यही जताई जा रही है कि होली के बाद ही नया मंत्रिमंडल शपथ लेगा। इस संबंध में राष्ट्रीय नेतृत्व से विचार-विमर्श के लिए सीएम योगी सहित प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल का रविवार को दिल्ली जाना संभावित है।
उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद योगी मंत्रिमंडल ने 19 मार्च, 2017 को शपथ ली थी। अब फिर चुनाव में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद शुक्रवार को योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को इस्तीफा सौंप दिया। इसके साथ ही नए मंत्रिमंडल के गठन को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।
सूत्रों के अनुसार, शनिवार को मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर प्रदेश संगठन के शीर्ष नेताओं की बैठक प्रस्तावित है। यहां कुछ नाम और 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिहाज से जातीय-क्षेत्रीय समीकरणों पर होमवर्क पूरा कर योगी, स्वतंत्रदेव और सुनील बंसल रविवार को दिल्ली जा सकते हैं। ये नेता दो दिन वहीं प्रवास करेंगे।
वहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठक में तय होगा कि पुराने मंत्रियों में किसे नई सरकार में मंत्री बनाया जाए, किसका कद बढ़ाया जाए और नए जीते विधायकों में किसे मंत्री बनाकर समीकरण साधे जाएं। चूंकि, यहां विमर्श, फिर दो-तीन दिन दिल्ली में बैठक और फिर यहां विधायक दल की बैठक होगी, इसलिए माना जा रहा है कि नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होली के बाद ही होगा।
वहीं, चर्चा यह भी है कि होलाष्टक के चलते भाजपा नई सरकार के गठन का शुभ कार्य होली के बाद ही करना चाहती है। मान्यता है कि होली के आठ दिन पहले फागुन शुक्ल अष्टमी को लगने वाले होलाष्टक का मान बिपाशा, एरावती, रावी तटवर्ती क्षेत्रों में होता है। इसमें कोई भी नया कार्य, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, विवाह आदि वर्जित होता है। वहीं, कुछ विद्वानों का मत इससे अलग भी है।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय और काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी इस पर एकराय हैं कि होलाष्टक की मान्यता उत्तर भारत में नहीं है। साथ ही राजकाज में होलाष्टक की बाधा नहीं होती।
लालजी वर्मा हो सकते हैं नेता प्रतिपक्ष : नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी के हारने के बाद अब समाजवादी पार्टी में नेता प्रतिपक्ष के नए नामों पर मंथन शुरू हो गया है। प्रबल संभावना अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट से छठी बार विधायक बने लालजी वर्मा के नेता प्रतिपक्ष बनने की है। पिछड़े वोट बैंक को साधने के लिए समाजवादी पार्टी लालजी वर्मा को इस पद पर बैठा सकती है। बसपा सरकार में संसदीय कार्य मंत्री के रूप में उनका अनुभव भी है। 1991 में वे पहली बार विधायक चुने गए थे।