सीएम योगी ने राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा, नई सरकार के गठन की प्रक्रिया तेज

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उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में प्रचंड बहुमत प्राप्त करने के बाद नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सांविधानिक व्यवस्था के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट की अंतिम बैठक कर 17वीं विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव पारित किया और राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को नई सरकार के गठन तक शासन की व्यवस्था का जिम्मा सौंपा है।

भाजपा को 2017 के विधानसभ चुनाव में मिले पूर्ण बहुमत के बाद 19 मार्च, 2017 को सरकार बनाई थी और मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने शपथ ग्रहण किया था। 17वीं विधानसभा का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है और भाजपा ने फिर पूर्ण बहुमत का जनादेश पाया है। नियमानुसार सीएम योगी ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर कैबिनेट की अंतिम बैठक बुलाकर मौजूदा विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव पारित किया। उसके बाद वह शाम को राजभवन पहुंचे और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को प्रस्ताव सहित अपना त्याग-पत्र सौंप दिया।

दूसरी ओर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला, भारत निर्वाचन आयोग के सचिव अजॉय कुमार और अन्य अधिकारियों ने भी राज्यपाल से भेंट की। उन्होंने राज्यपाल को उत्तर प्रदेश विधानसभा सामान्य निर्वाचन 2022 के संपन्न हो जाने के बाद शुक्रवार को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी की गई लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 73 के तहत प्रदेश की नई विधानसभा के गठन की अधिसूचना और सभी 403 नवनिर्वाचित सदस्यों की सूची सौंपी। आयोग के निर्देशानुसार नई विधानसभा के गठन की अधिसूचना जारी होने के बाद लागू आदर्श आचार संहिता समाप्त हो जाती है। राज्यपाल ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को शांतिपूर्ण चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने के लिए बधाई दी।

कैबिनेट की बैठक में पीएम मोदी के प्रति जताया आभार : भाजपा को चुनाव में मिले जनसमर्थन के लिए योगी मंत्रिमंडल ने जनता जनार्दन के प्रति आभार प्रकट करते हुए नेतृत्व और मार्गदर्शन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। भारत निर्वाचन आयोग और निर्वाचन से जुड़े हुए सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को धन्यवाद दिया। बैठक मेें पारित प्रस्ताव में उल्लेख किया गया कि प्रदेश की जनता ने न केवल भाजपा की नीतियों में विश्वास व्यक्त करते हुए उसे प्रचंड बहुमत देकर सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त किया है, बल्कि अन्य दलों को यह संदेश भी दे दिया है कि अब प्रदेश में विकास एवं सुशासन के अलावा खोखले नारों, जातिवाद और परिवारवाद के लिए कोई स्थान नहीं है।