प्रदेश सरकार ने जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापक और प्रधानाध्यापक भर्ती प्रक्रिया महीनों से अटकी पड़ी है। अक्तूबर में परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। कई बार अभ्यर्थियों ने शिक्षा निदेशालय और सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय में प्रदर्शन कर भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ाने की मांग की। लेकिन इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में अब उम्मीद की जा रही है कि नई सरकार के गठन के बाद अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ने की उम्मीद है। अगर भर्ती प्रक्रिया जल्द आगे नहीं बढ़ती है तो अभ्यर्थी एक बार फिर से आंदोलन शुरू करेंगे।
सूबे के जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापक के लगभग 15 सौ पद और प्रधानाध्यापक के तीन सौ पदों के लिए सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से अक्तूबर महीने में परीक्षा कराई गई। 15 नवंबर को परीक्षा परिणाम जारी किया गया। सहायक अध्यापक परीक्षा में लगभग 45 हजार और प्रधानाध्यापक के लिए 17 सौ अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण किया गया। परिणाम जारी होने के बाद प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। इससे परेशान अभ्यर्थी शिक्षा निदेशालय और परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय का चक्क र लगाने लगे।अभ्यर्थी ज्ञानवेंद्र सिंह का कहना है कि जब भर्ती के संबंध में शिक्षा निदेशालय पहुंचे तो वहां से बताया गया कि अभी परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से परिणाम ही नहीं भेजा गया। जबकि परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से अभ्यर्थियों को बताया गया कि परिणाम निदेशालय को भेज दिया गया है।
जनवरी में सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थियों ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय पर क्रमिक अनशन शुरू किया। लेकिन इसी दौरान विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई। अभ्यर्थियों का कहना है कि नई सरकार के गठन के बाद प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ती है तो सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय और शिक्षा निदेशालय पर आंदोलन को बाध्य होंगे।