लखनऊ। प्रदेश सरकार की ओर से कर्मचारियों और उनके आश्रितों के लिए लागू की गई पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना में कई अहम बदलाव की तैयारी है। इस योजना में पेंशनरों की विधवा बहू को भी शामिल किया जाएगा। पांच लाख से अधिक की रकम खर्च होने पर प्रतिपूर्ति की भी व्यवस्था दी जाएगी। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने मसौदा तैयार कर लिया है।
कैशलेस योजना में सीधे तौर पर प्रदेश के 22 लाख कर्मचारी व पेंशनर्स शामिल किए गए हैं, लेकिन आश्रितों को मिलाकर यह संख्या 75 लाख हो जाएगी। सूत्र बताते हैं कि योजना में अभी तक आश्रित बेटी को शामिल किया गया है, लेकिन बहू का प्रावधान नहीं है। ऐसे में
नियमावली में कई तरह के बदलाव किए जाएंगे। यदि पेंशनर्स की विधवा बहू है और वह पेंशनर्स पर आश्रित है तो उसे भी योजना का लाभ देने की तैयारी है।
इसी तरह अभी तक उसी आश्रित को योजना में शामिल किया गया था, जिनकी आय तीन हजार मासिक है, लेकिन इस सीमा को बढ़ाकर करीब 11 हजार करने की तैयारी है। इसी तरह कार्ड खोने अथवा बिना कार्ड के अस्पताल पहुंचने वालों को भी इलाज की सुविधा दी जाएगी। इसके लिए भी अलग से नियम बनाया जा रहा है। योजना में बजट की कमी न होने पाए इसके लिए भी कई प्रावधान किए जा रहे हैं। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग ने इस योजना के लिए अग्रिम 10 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं।
प्रतिपूर्ति की व्यवस्था में भी होगा बदलाव
सूत्रों के अनुसार कर्मचारियों की मांग को देखते हुए प्रतिपूर्ति की व्यवस्था में भी बदलाव की तैयारी है। उपचार के दौरान पांच लाख से अधिक का अस्पताल बिल होने पर अतिरिक्त बिल की प्रतिपूर्ति दी जाएगी। यह भी व्यवस्था बनाई जा रही है कि सरकारी अस्पताल के बिल के लिए कर्मचारियों को मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय की दौड़ न लगानी पड़े। अब सिर्फ निजी अस्पताल के बिल सीएमओ से सत्यापित कराए जाएंगे।
एक ही अस्पताल में कई मरीज पहुंचे तो भी मिलेगी राहत
कई अस्पतालों ने यह आशंका जताई है कि उनके अस्पताल में कैशलेश योजना के मरीज एक साथ बड़ी संख्या में पहुंच सकते हैं। कार्पस योजना का फंड खत्म हो गया तो आगे का इलाज कैसे चलेगा? इस शंका का समाधान करने के लिए भी नियमावली के प्रारूप में परिवर्तन किया जा रहा है।