सुनो मेरे साथी प्यारे, बागी बलिया की गाथा सुनाता हूं।….: एक शिक्षक द्वारा स्वरचित

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सुनो मेरे साथी प्यारे,

बागी बलिया की गाथा सुनाता हूं।

बलिया बलिदान दिवस है आज,

सबको यही बतलाता हूं।

इस गौरवशाली दिन को,

अंग्रेजों ने अपने घुटने टेके थे।

थर-थर कांपे थे ब्रिटिश,

फिरंगी झंडे उखाड़ के फेंके थे।

19 अगस्त 1942 का दिन था वह,

चित्तू पांडे बलिया की गद्दी पर बैठे थे।

इंकलाब के गूंजे थे नारे,

मैं भी वंदे मातरम गाता हूं।

सुनो मेरे साथी प्यारे,

बागी बलिया की गाथा सुनाता हूं।

जल उठी थी मशालें क्रांति की,

जिला जेल का दरवाजा तोड़ा था।

इंकलाब के नारे लगाकर,

हर बच्चा-बूढ़ा दौड़ा था।

स्वाधीन हुआ था आज बलिया,

ब्रिटिश गर्दन को मरोड़ा था,

बलिदान हुए थे क्रांतिकारी,

सबको यही समझाता हूं।

सुनो मेरे साथी प्यारे,

बागी बलिया की गाथा सुनाता हूं।

बलिया बलिदान दिवस पर बागी बलिया के अमर सपूतों को शत शत नमन व कृष्ण जन्माष्टमी की ढेर सारी शुभकामनाएं।

प्रभाकर गुप्ता (स०अ०)

कंपोजिट विद्यालय वाराडीह लवाई पट्टी,

शिक्षाक्षेत्र – नगरा,

जनपद – बलिया