पेंशनरों पर भी तरस नहीं खाते ट्रेजरी के बाबू

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जीवन का लंबा समय सरकारी सेवा में देने वालों पर भी कोषागार के बाबुओं को तरस नहीं आता। जिंदगी के 80 से अधिक बसंत पार कर चुके इन पेंशनरों को सरकार 20 फीसदी पेंशन वृद्धि का तोहफा देती है। मगर इसका लाभ उन्हें समय पर नहीं मिल पाता। उनसे मोलभाव किया जाता है। निदेशालय ने सख्ती की तो बीते कुछ महीनों में प्रदेश के 80 पार वाले 17 हजार से अधिक पेंशनरों को पेंशन वृद्धि का लाभ दिलाया गया। इसे लटकाने वाले तमाम लोगों पर कार्रवाई भी की गई है।

प्रदेश में 80 पार वाले पेंशनरों की संख्या 84 हजार 722 है नियमानुसार पेंशनर की आयु 80 वर्ष पूरी होने के साथ ही उसे 20 प्रतिशत पेंशन वृद्धि का लाभ मिल जाना चाहिए। एक बार यह लाभ मिलने के बाद फिर पेंशनरों को 85, 90, 95 और 100 वर्ष पर होने वाले पेंशन वृद्धि के लाभ खुद-ब-खुद मिलते जाते हैं। ऐसा सिस्टम के ऑनलाइन होने के चलते होता है। मगर पेंशनर के 80 साल का होने पर यह लाभ उन्हें मेनुअल दिया जाता है। इसी बात का लाभ कोषागार में पेंशन का काम देखने वाले तमाम बाबू उठाते हैं।

वित्तमंत्री का जिला भी नहीं रहा अछूता इसे वित्तमंत्री सुरेश खन्ना के जिले शाहजहांपुर के वरिष्ठ कोषाधिकारी शैलेंद्र प्रताप सिंह के गत 17 सितंबर के पत्र से समझा जा सकता है। इसमें जिले में 80 पार के 42 पेंशनरों का जिक्र है, जिन्हें 20 फीसदी वृद्धि का लाभ नहीं मिला। इनमें 84 वर्ष से अधिक के अब्दुल नवी खान भी थे। निदेशक कोषागार की टिप्पणी भी पत्र में है कि वित्तमंत्री के जिले में इतनी लापरवाही कैसे है।

इसी तरह सीतापुर के मुख्य कोषाधिकारी ने भी 80 साल से ऊपर के 92 पेंशनरों को 20 प्रतिशत वृद्धि का लाभ न मिलने पेंशन का काम देख रहे अशोक कुमार मिश्रा, रमेशचंद, महेंद्र कुमार, अमिता अवस्थी, अदिति यादव व जितेंद्र कुमार चौधरी से लापरवाही के लिए स्पष्टीकरण मांगा। प्रदेश में अभी भी उम्र की सही जानकारी के अभाव में हजारों फेमिली पेंशनरों के मामले लंबित हैं।