माध्यमिक शिक्षा विभाग में रिक्तियों के मामले में गोरखपुर के गांधी इंटर कालेज की याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया लगता है कि प्रदेश के उच्च पदस्थ अधिकारी विरोधाभासी झूठा बयान न्यायालय में दे रहे हैं। इस स्तर पर हम उसके विस्तार में नहीं जा रहे हैं। सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि विभिन्न वित्त पोषित प्राइवेट संस्थाओं में प्रधानाचार्य के 1688 पद रिक्त हैं, जिन्हें सीधी भर्ती से भरा जाना है।
इसके लिए लगभग 11816 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार होना है। इसी प्रकार 624 पद प्रवक्ता के हैं, जिन पर 3000 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार होना है। निकट भविष्य में उत्पन्न होने वाली रिक्तियां अलग से हैं। कोर्ट ने कहा कि यह सामने आ रहा है कि चयन प्रक्रिया कभी भी समय से नहीं हो सकी। चयन बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल आठ अप्रैल 2022 को समाप्त हो चुका है। तत्कालीन मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने हलफनामा देकर छह सप्ताह में बोर्ड का गठन कर देने का आश्वासन दिया था। 12 सप्ताह बीत जाने के बाद भी बोर्ड का गठन नहीं किया गया है। कोर्ट ने दो अधिकारियों द्वारा दिए गए विरोधाभासी बयान और बड़ी संख्या में रिक्तियों को भरे जाने को लेकर अगली सुनवाई पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी।