पेंशन वही, जो भारतीय समाज का भविष्य न बिगड़ने दे

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चुनावी माहौल में पुरानी पेंशन को लेकर एक बार फिर नए सिरे से बहस शुरू हो गई है। पुरानी पेंशन योजना बहाली के लिए पूरे देश में राष्ट्रीय आंदोलन चलाया जा रहा है। हाल ही में, बजट 2023 के लिए आयोजित बैठक में भी भारतीय मजदूर संघ सहित कई कर्मचारी संगठनों ने वित्त मंत्री से इसकी मांग की है। 

1 जनवरी, 2004 से नई पेंशन योजना (एनपीएस) को लागू किया गया था और एनपीएस को पश्चिम बंगाल छोड़कर सभी राज्यों ने अपना लिया। अब छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान के साथ पंजाब ने भी पुरानी पेंशन स्कीम को लागू कर दिया है। तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने भी पुरानी स्कीम को वापस लाने का वादा किया है। ऐसे ही, वादे गुजरात में भी किए गए हैं।

अभी नई पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारी के मूल वेतन से 10 प्रतिशत राशि काटी जाती है और उसमें सरकार 14 फीसदी अपना हिस्सा मिलाती है। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। पुरानी पेंशन योजना में रिटायर्ड कर्मचारियों को सरकारी कोष से पेंशन का भुगतान किया जाता था, जिसमें कर्मचारी को अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत मिलता था। 

दरअसल, नई पेंशन योजना को उन लोगों के लिए डिजाइन किया गया था, जो 21 से 25 वर्ष की आयु में नौकरी में आ जाते हैं और 35 से 40 वर्ष तक पेंशन फंड में योगदान करते हैं। अब पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक ढांचा बदला है, ज्यादातर लोगों को नौकरी देर से मिल रही है, सेवानिवृत्ति भी महज 10-15 वर्षों की सेवा के बाद हो जा रही है। लिहाजा नई पेंशन स्कीम को लेकर कर्मचारियों की आशंका सच साबित होने लगी है। दो लाख रुपये वेतन पाने वालों का भी दो से पांच हजार रुपये तक पेंशन बन रहा है, इससे बिजली बिल व दवा खर्च भी नहीं निकल पा रहा है।