नई पेंशन की शर्त से शिक्षक संगठनों में बढ़ी नाराजगी, बोले, पुरानी पेंशन नहीं दे रहे तो नई के लिए क्यों बनाया जा रहा दबाव

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नई पेंशन की शर्त से शिक्षक संगठनों में बढ़ी नाराजगी, बोले, पुरानी पेंशन नहीं दे रहे तो नई के लिए क्यों बनाया जा रहा दबाव

शिक्षकों की मांग नई पेंशन पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र करे सरकार

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13 साल कटौती नहीं की, अब दबाव क्यों?

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह सवाल उठा रहे हैं कि अचानक ये सख्ती क्यों की जा रही है? उनके अनुसार 2004 में 46289 अभ्यर्थी चुने गए थे। उनकी नियुक्ति 1 अप्रैल 2005 के बाद हुई, लेकिन उस समय शिक्षकों ने नई पेंशन स्वीकार नहीं की तो कोई सख्ती नहीं हुई। उनका अंशदान भी सरकार ने नहीं काटा। 2019 से सरकार ने अंशदान कटौती शुरू की। उसमें भी पहले यह आदेश किया गया था कि यदि कोई नई पेंशन स्वीकार नहीं करता तो उसका वेतन नहीं रुकेगा। अब अचानक वेतन रोकने के आदेश का क्या औचित्य है? उन्होंने मांग की है कि किसी से कोई जबरदस्ती न की जाए। इसके साथ ही किसी का वेतन न रोका जाए।

लखनऊ। नई पेंशन योजना के अंशदान की कटौती के लिए प्रान (परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नंबर) आवंटन की अनिवार्यता को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों में नाराजगी है। पुरानी पेंशन की आस में कई जिलों में शिक्षक नई पेंशन योजना से नहीं जुड़ना चाह रहे। वहीं शासन द्वारा बिना प्रान आवंटन के वेतन रोके जाने की चेतावनी का शिक्षकों ने विरोध किया है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि इसे ऐच्छिक किया जाना चाहिए।