परिषदीय विद्यालय का यह हाल : कभी प्रवेश को सिफारिश, अब पढ़ाई रामभरोसे

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प्रयागराज, शहर में आज शिक्षा विभाग के अधीन 37 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में पढ़ाई राम भरोसे हैं। कभी इन्हीं विद्यालयों की पढ़ाई चर्चा का विषय होती थी। स्कूलों में दाखिले के लिए सिफारिश लगाते थे। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे आसानी से अच्छी नौकरी पा जाते थे। इब इन स्कूलों में लोग मजबूरी में अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए भेजते हैं।

1974 तक शहर के उच्च प्राथमिक विद्यालय नगर महापालिका के अधीन थे। स्कूलों की देखरेख के लिए नगर पालिका का एक प्रबंधन था। विद्यालयों में मुफ्त पढ़ाई के साथ छात्रों को पुस्तकें मिलती थीं। अध्यापक भी स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने को लेकर गंभीर थे। 1974 में सभी स्कूल शिक्षा विभाग को सौंप दिए गए। बीते 50 वर्षों में स्कूलों की स्थिति दयनीय हो गई है।

नगर निगम के सेवानिवृत्त कर्मचारी बताते हैं कि शहर के उच्च प्राथमिक विद्यालयों के रखरखाव को लेकर गंभीर था। नगर महापालिका के पास अपनी व्यवस्था होने के कारण विद्यालयों के भवनों की समय-समय पर मरम्मत होती थी। अब स्कूल के अध्यापक बताते हैं कि पिछले तीन-चार दशक से भवनों की मरम्मत नहीं हुई।

बाहरी मदद से नगर निगम चला रहा दो प्राइमरी स्कूल पांच दशक पहले 27 उच्च प्राथमिक विद्यालय नगर महापालिका ने शिक्षा विभाग को दे दिया। दारागंज और साउथ मलाका स्थित दो प्राथमिक विद्यालय आज भी नगर निगम के पास है। नगर निगम दोनों स्कूलों की देखभाल नहीं कर पा रहा है। दारागंज स्थित स्कूल की देखरेख के लिए एक स्वयंसेवी संस्था की मदद ली गई। प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी ने साउथ मलाका के स्कूल की जर्जर इमारत की मरम्मत कराई। नगर महापालिका 37 स्कूलों की देखरेख कर लेता था। नगर निगम दो स्कूलों की देखभाल नहीं कर पा रहा है। चार साल पहले तत्कालीन अपर नगर आयुक्त रितु सुहास ने दोनों स्कूलों के प्रति गंभीरता दिखाई थी। अपर नगर आयुक्त स्कूलों की दशा सुधारने के लिए नियमित दौरा करती थीं। अपर नगर आयुक्त का ट्रांसफर होने के बाद दोनों स्कूलों की फिर उपेक्षा शुरू हो गई। स्कूल में बच्चों से फीस नहीं ली जाती। किताबें मुफ्त दी जाती हैं। अच्छे छात्रों को पुरस्कृत किया जाता है। इसके बाद भी स्कूलों में छात्र लगातार कम हो रहे हैं।