प्राथमिक वर्ग की शिक्षा के लिए केवल BSTC को पात्र मानते हुए बीएड धारियों को अपात्र माना है. राजस्थान सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील मनीष सिंघवी ने कोर्ट में पक्ष रखा था. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 30 मई 2018 के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है.
राजस्थान का लंबे समय से चल आ रहा है बीएसटीसी-बीएड (BSTC-B.ed) विवाद समाप्त हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अहम फैसला दिया है. SC ने बीएड धारियों को प्राथमिक वर्ग की शिक्षा के लिए अपात्र माना है. एससी के बीएसटीसी-बीएड विवाद में दिए फैसले से राजस्थान सरकार को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने यह आदेश दिया है.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की पॉलिसी पर मुहर लगाई है. प्राथमिक वर्ग की शिक्षा के लिए केवल BSTC को पात्र मानते हुए बीएड धारियों को अपात्र माना है. राजस्थान सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील मनीष सिंघवी ने कोर्ट में पक्ष रखा था. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 30 मई 2018 के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है. माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का अन्य राज्यों में भी असर पड़ेगा.
NCTE नोटिफिकेशन के कारण शुरू हुआ था विवाद
बता दें कि, राजस्थान सहित देशभर में ग्रेड थर्ड टीचर भर्ती परीक्षा के लेवल-1 में बीएसटीसी और इसके समकक्ष डिप्लोमा धारियों को ही पात्र माना जाता था. वहीं लेवल-2 के लिए बीएड डिग्रीधारी होना जरूरी था. 28 जून 2018 को एनसीटीई ने एक नोटिफिकेशन निकालकर कहा कि लेवल-1 के लिए बीएड डिग्रीधारी भी पात्र होंगे. वहीं नियुक्ति मिलने के बाद उन्हें 6 महीने में एक ब्रिज कोर्स करना पड़ेगा. इसी नोटिफिकेशन से पूरे देश में यह विवाद शुरू हो गया था. इसके चलते बीएसटीसी और बीएड डिग्रीधारी आमने-सामने हो गए थे. इसके बाद हाईकोर्ट में नोटिफिकेशन के खिलाफ और पक्ष में याचिकाएं दायर हुई थीं.